ओबामा का बयान पूरी दुनियाँ के मुसलमानों को अपमानित करता है
चूंकि यह पत्थर पर लिखी इबारत की तरह सच है कि जो आतंक की दर्स देता है जो बेकसूरों,बच्चों,बूढ़ों को अपनी बर्बरता का निशाना बनाता है वह धर्म हो ही नहीं सकता वोह इस्लाम जो दौरान ए जंग में भी बच्चों बूढो और हरी भरी खेतियों को भी रौंदने की इजाज़त नहीं देता उस इस्लाम को किसी आतंकी संगठन से इस तरह जोड़ देना ओबामा की मुसलमानों से ज़हनी नफरत का ऐलान करता है ठीक उसी तरह जिस तरह अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बुश ने पूरी दुनिया को अपने मुस्लिम विरोधी विचारों से अवगत कराया था ! जाते जाते ओबामा ने फ्रांस हमले के बहाने जिस ज़हनियत का परिचय दिया है उससे दुनिया की दूसरी बड़ी आबादी आहत है !
यह एक सच है कि पूरे हिन्दुस्तान के किसी बाशऊर मुस्लिम लीडर ने न सिर्फ आई एस आई एस बल्कि किसी भी दहशतगर्द तंज़ीम की पैरवी कभी नहीं की है ! लेकिन मुस्लिम नफरत में डूबे सांप्रदायिक तत्व बिलजब्र आतंकी संगठन आई एस आई एस से मुसलमानों को जोड़कर दुनिया की सतह पर बैचैनी पैदा करने पर आमादा हैं !
वोह इस्लाम जो खून ए नाहक़ को आलम ए इंसानियत का क़त्ल क़रार देता है उस मज़हब को इंसानी हुक़ूक़ का सबक़ सिखाने का काम वोह लोग कर रहे हैं जिन्होंने ताक़त के जौम में दर्जनों बार कमज़ोरों के अहसास को रौंदा है ! सारी दुनिया के मुसलमानों को किसी आतंकी और अमानवीय संगठन से जोड़कर मुसलमानों के किसी बड़े क़त्ल ए आम का षड़यंत्र कर रहे हैं !
हम इस वक़्त फ़्रांस में हुए आतंकी हमले की निंदा और चर्चा के साथ देश और दुनिया की मुस्लिम सियासत पर गहरी पकड़ रखने वाले आज़म खान साहब के उस बयान पर भी पूरी ताक़त से बहस और जांच चाहते हैं जिस बयान को क्रिया की प्रतिक्रिया के नाम पर एक षड़यंत्र के तहत आज़म खान साहब से जोड़कर पूरी दुनिया में उन्हें बदनाम करने की साज़िश रची गयी है !मैं चाहता हूँ कि हिन्दुस्तान और दुनिया की जांच एजेंसियां तलाशे कि यह बयान किस पार्टी के किस नेता का था और यह सच पूरी दुनिया के सामने आना चाहिए ! .
मैं इस समय हिन्दुस्तान के उन नेताओं की खासतौर पर मज़म्मत करता हूँ जिन्होंने अपनी कमज़ोरी का मुज़ाहिरा करते हुए बगैर किसी तस्दीक़ के मो आज़म खान साहब के बयान की मज़म्मत की है ! हाँ मो.आज़म खान साहब ने अपने बयान में पैरिस आतंकी हमले की निंदा करते हुए दीगर तरीकों से होने वाले इंसानी क़त्ल ए आम को भी अफसोसनाक क़रार दिया था !
मो आज़म खान के बयान को विवादित बना कर एक बाशऊर नेता की ज़ुबाँ बंदी की साज़िश की जा रही है जो अफसोसनाक है ! यह सच है कि ईराक़,अफगानस्तान,सीरिया और फलस्तीन पर होने वाली बम व बारूद की बारिश ने भी इंसानी अहसास और जिस्मों को मौत के घाट उतारा था हो सकता है कि मो.आज़म खान साहब ने यह ज़रूर कहा हो और ऐसा उन्हें कहना भी चाहिए ! बेक़सूर इंसानों का क़त्ल मज़हब,नस्ल और मुल्क के दायरे में रख कर नहीं देखा जा सकता बल्कि इंसान तो सिर्फ इंसान होता है और उसका खून ए नाहक़ इंसानियत पर सवाल बन कर मंडराता रहता है !
मैं मज़म्मत करने वालों को भी मो.आज़म खान साहब के बयान पर कुछ बोलने से पहले इस बयान को पढ़ने और सुनने की सलाह देता हूँ ! मो.आज़म खान साहब पर इलज़ाम तराशी की इस तहरीक में कुछ ऐसे तथाकथित धर्मगुरू भी शामिल हैं जिन पर मोदी जी के मेहमान बनकर गुजरात घूमने और अमरीकन राष्ट्रपति के चुनावी मुहीम को कामयाब बनाने के लिए अमरीकन मेहमान बनने का भी इलज़ाम लगाया जाता है !
मैं देशवासियों को 2002 के गुजरात क़त्ल ए आम के बाद 02 मार्च 2002 को दिए गए मोदी जी के उस साक्षात्कार की बारे में ज़रूर याद दिलाना चाहता हूँ जिसमे अहसान जाफरी के क़त्ल के बाद मुख्यमंत्री के मोदी जी ने कहा था कि यह क्रिया की प्रतिक्रिया है ! लेकिन आज मोदी समर्थक जिस प्रकार मँहगी दाल,महंगी सब्ज़ी और असहषुणीता में झुलसते मुल्क को छिपाने के लिए कभी गाय और गंगा को अस्त्र बनाते हैं और उन्होंने आज जनता का ध्यान भटकाने के लिए मो.आज़म खान साहब के इंसानी अहसास से लबरेज़ बयान को विवाद बनाने का असफल प्रयास कर रहे हैं !
