गंगा जमना से शुरू होने वाली यह दर्दनाक कहानी मेरे गृहनगर विदिशा और मेरी जन्म स्थली से वाबस्ता पाकीज़ा बेतवा नदी तक आती है ! नदियों के प्रदुषण की दर्दनाक कहानी में ज़ालिम की भूमिका अदा करने वाला कोई बाहरी मुल्क नहीं बल्कि अपने ही देश के कल कारखाने और नागरिक है ! आपके माध्यम से मेरा यह भी आरोप है नदियों की अपवित्रता में अँग्रेज़ शासकों ने भी खलनायक की भूमिका अदा करते हुए ज़्यादातर बस्तियों से बहने वाले गंदे नालों को नदियों से जोड़कर नदियों के स्वच्छ और शीतल पानी को ज़हरीला बनाने का काम किया है ! मेरी मांग है कि बेतवा में ज़हरीला पानी छोड़ने वाले कारखानों पर कार्यवाही की जाये ! क्या आजतक इन कारखानों पर कोई कार्यवाही हुयी है ?
मैं विदिशा के ऐतिहासिक मैदान से बहने वाली बेतवा मैय्या का अस्तित्व बचाने की गुहार करते हुए भारत सरकार से कहना चाहता हूँ कि वर्तमान सरकार में ऐसे अनेकों राजनैतिक किरदार हैं जो राजनीतिक तौर पर बेतवा के कर्ज़दार है ! उन सबको अपने अस्तित्व के लिए करहाती हुयी बेतवा की सफाई के लिए जोड़ते हुए ! मंडीदीप ज़िला रायसेन से लेकर माताटीला तक एक विराट और विशाल योजना बनाने की मांग करता हूँ !
बेतवा के किनारे बने हुए तमाम कल कारखानों को एक बार पुनः प्रदुषण निवारक यंत्रों को अवलोकित करते हुए बेतवा में छोड़े जाने वाले तेज़ाबी वेस्ट मटेरियल से बचाने की मांग करता हूँ ! और विदिशा के ऐतिहासिक चरणतीर्थ घाट को गहरीकरण के माध्यम से सुंदर व्यवस्थित और झीलरूपी बनाकर पर्यटकों के लिए लुभावन योजना तैयार करते हुए स्वीकृत करने की मांग करता हूँ !
नदियां माँ के दुलार की तरह अपने बच्चों को जीवन देने वाली होती है ! इसीलिए मैं कहता हूँ कि ज़मीन पर बहता पानी ज़िंदगी होता है और ज़िंदगी बचाने की सरकार की नैतिक ज़िम्मेदारी है !
आमिर अंसारी
निज सचिव, सांसद