पत्रकार कोई छोटा नहीं होता

अनिल पाराशर
अनिल पाराशर
?मित्रो आज हम सभी मित्रो से मैं कहना चाहता हूँ की आज बड़े छोटे का भेद भाव रखने वाले कुछ पत्रकार भाई ये भूल रहे है की जो भी हम सब एक दूसरे की टांग खीचते रहते है उसका असर कई विभागों में बैठे अधिकारियो की नजर में गलत पड़ रहा है ।और यही कारण है की आपस की तना तनी के कारण हम सब एक दूसरे की बुराई भिभिन्न विभाग में बैठे अधिकारियो से करने लगते है जिससे अधिकारी पर प्रभाव ख़त्म हो जाता है इस तरह के कार्य अधिक तर बड़े बैनर के पत्रकार भाई करते है और वो सोचते है की मैंने इस पत्रकार की बुराई इस अधिकारी से की है तो आज के बाद ये अधिकारी हमारे बिरोधी पत्रकार को नजर अन्दाज करेगा।पर ऐसा नहीं होता वही अधिकारी पीठ पीछे बुराई करने वाले पत्रकार को भी गालियाँ देकर हँसता है जिससे कुछ चन्द भाइयो की वजह से हम सभी पत्रकारो के बीच में सन्देस गलत जाता है फिर लोग कहते है की अधिकारी पत्रकारो के साथ अभद्र ब्यवहार करते है।अरे भाई क्यों नहीं करेंगे जब आप किसी अपने भाई की बुराई कही करेंगे तो सामने वाला हमेसा उस नजर से आपको और आपके पुरे परिवार पुरे नारद वँश को गालियाँ देगा ।
मित्रो आपको ये बता दूँ की आज जब पत्रकारो पर कोई बात आती है तो पुलिस हो चाहे वो कोई भी अधिकारी हो यहाँ तक की जिसके लिए आप काम करते हो समाज में हर बुराई भ्रस्टाचार आदि को उजागर करते हो और ये सब काम हम अपनी जनता के लिए करते है वो भी हमारा बुरा वक़्त आने पर साथ नहीं देती क्यों की जनता के बीच में हो या अधिकारियो के बीच में हो हम आपस में एक दूसरे की छवि ख़राब करते रहते है जिससे इनको इस बात का असर गलत पड़ता है और सिर्फ इसलिए क्यों की हम सब एकजुट नहीं है।मेरे मित्रो आप सभी से निवेदन है की आपस के छोटे बड़े का भेदभाव दूरकर हम सब एक हो जाये जिससे हम सब भारत का चौथा स्तम्भ कहने के लिए नहीं हम सब चौथा स्तम्भ बन जाये।ये शब्द मैंने अपने दिल की गहराइयो से आपके बीच में प्रस्तुत कर रहा हूँ क्यों की शोसल मिडिया तक भी मिडिया को लोगो को गालियाँ देते हुए देखकर मन दुखी होता है।ये मेरे अपने ब्यक्तिगत शब्द है अगर आपको मेरा कोई एक भी शब्द बुरा लगे तो आप सभी से मैं मॉफी चाहता हूँ।

एक बार सभी बोलो की हम सब एक है।
?अनिल सर संपादक बदलता पुष्कर
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