सुनीता लुल्ला की हिंदी रचना का देवी नागरानी द्वारा सिंधी अनुवाद

सुनीता लुल्ला
सुनीता लुल्ला
मूल:सुनीता लुल्ला
मै जीवन हूँ
वो जो किरन सुबह आती है
वो मैं ही हूँ
शाम ढले जो ढल जाता है
वो मैं ही हूँ
फूल कभी ले कर आता हूँ
वो मैं ही हूँ
और कभी काँटे देता हूँ
वो मैं ही हूँ
सपने बन कर आँखो में जो बस जाता हूँ
और कभी आँसू बन कर बह जाता हूँ
कभी कभी मैं जख्म नये भी दे जाता हूँ
और कभी मरहम बन कर लग जाता हूँ
कभी सवालो के धागो में उलझाता हूँ
कभी सुलझ कर उत्तर नये दे जाता हूँ
सारे रस्ते अगर हो सीधे, थक जाओगे
मोड़-मोड़ पर तुमको जीना सिखलाता हूँ
आँख मूँद कर दिल में झाँको
देखो मेरी कीमत आँको
मै जीवन हूँ ।

पता: फ्लैट 403, सरोजिनी ब्लॉक, मेधा रेजोइस, राधा कृष्ण नगर, आतारपुर, हैदराबाद-500048

देवी नागरानी
देवी नागरानी
सिन्धी अनुवाद: देवी नागरानी
माँ जीवन आहियाँ
जा किरन सुबह जो ईंदी आ
ऊहा माँ ई आहियाँ
शाम जो जा लहंदी आ
ऊहा माँ ई आहियाँ
गुल कडहिं खणी ईन्दो आहियाँ
ऊहो माँ ई आहियाँ
ऐं कडहिं कंडा डींदों आहियाँ
ऊहो माँ ई आहियाँ
सपना बणजी अख्युन में जो वसी वजें थो
ऐं कडहिं लुडुक बाणजी वही वेंदों आहियाँ
कडहिं- कडहिं माँ नवां जख्म बि डींदों आहियाँ
ऐं कडहिं मरहम बणजी लगी वेंदों आहियाँ
कडहिं सवालन जे धागन में उलझी वेंदों आहियाँ
कडहिं सुलझी करे नवां जवाब डींदों आहियाँ
समूरा रास्ता अगर सिधा हुजन, थकजी वेन्दा
मोड़-मोड़ ते तव्हाँ खे जीअण सेखारींदों आहियाँ
अख्यूं बूटे दिल में झांकियों
पोइ मुहिंजी कीमत आँकियो
माँ जीवन आहियाँ ! पता: ९-डी॰ कॉर्नर व्यू सोसाइटी, १५/ ३३ रोड, बांद्रा , मुंबई ४०००५० फ़ोन: 9987938358

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