हम नारे दे सकते है ,व्यावहारिकता नहीं,सोच नहीं बदली ?

सत्य किशोर सक्सेना
सत्य किशोर सक्सेना
डा.भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के गाँव अंबावडे में रामजी मालोजी सकपाल व भीमाबाई के परिवार में चौदहवीं संतान के रूप में महार अछूत जाति में हुआ था। उनका बचपन का नाम रामजी सकपाल था।उनके पिता ब्रिटिश भारतीय सेना की मऊ छावनी में सेवारत थे।विशेष स्नेही ब्राह्मण शिक्षक महादेव अंबेडकर की प्रेरणा से संवयम के नाम से ‘सकपाल’ हटाकर ‘अंबेडकर’ जोड़ लिया जो उनके गाँव के नाम ‘अंबावडे’ पर आधारित था।8 अगस्त 1930 को एक शोषित वर्ग सम्मेलन में शोषित वर्ग को स्वतंत्र रहने के कहा। आज़ादी उपरांत क़ानून मंत्री बनाया गया।29 अगस्त 1947 को संविधान सभा द्वारा ‘संविधान मसौदा समिति ‘ के अध्यक्ष पर मनोनीत किया गया था एंव 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा ने संविधान को अपना लिया।तत्पश्चात सन 1956 में बौद्ध धर्म ग्रहण किया। दिनांक 6/12/1956 को देवलोक को प्राप्त हुये।
आज प्रधान मंत्री जी नेअंबेडकर मेमोरियल की नींव रखते हुये विश्व पुरूष की संज्ञा दी व दलित वर्ग के अस्तित्व व राजनैतिक पूँजी के आगामी पॉच राज्यों में महत्व को समझते दलित कार्ड खेला। यदपि गत माहों में भी बाबा साहब के अन्य कार्यक्रमों में भी भाग लिया है तथा आज शोषणा की कि पहली बार किसी प्रधान मंत्री ने मेमोरियल में भाषण दिया व घोषणा की कि दलितों का आरक्षण कोई नही छीन सकता व सरकार दलितों के विकास के प्रति गंभीर है व आरक्षण के प्रति खरोंच तक नही आ सकती। दलित उद्योग पतियों की सभी माँगें मान ली।
लेकिन कुछ प्रश्न मेरी सोच में उठे-कि नेहरू जी के मंत्री मंडल से बाबा सा. को हिन्दू कोड बिल पर त्याग पत्र देने को बाध्य होना पड़ा जिसका विरोध तत्कालीन विपक्ष ने किया।
-क्या दलितों को सरकार में पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्राप्त है क्यों कि वर्तमान भाजपा के 40 सांसदों में से केवल एक केबिनेट मंत्री व एक पार्लियामेंटरी बोर्ड में है।
– देश में 1 करोड़ 18 लाख नौकरियों में से दलित वर्ग को देय 45 लाख नौकरियों में मात्र 35 लाख पदों पर नौकरियाँ दी गई हैं वह भी ‘सी’ व ‘डी’ वर्ग में।
-बजट 2015-2016 में दलित वर्ग के विकास कार्यक्रमों पर बजट प्रावधान 30851 करोड़ रू का किया गया परन्तु मात्र 8793 करोड़ रू राशि आंवटित की गई ।
-राजधानी दिल्ली विश्व विद्यालय के अधीन 80 महा विद्यालयों में एक भी दलित वर्ग का प्रिंसिपल नही है व 47 केन्द्रीय विश्व विद्यालय में मात्र एक जनजाति वर्ग का प्रिंसिपल है।
-वर्तमान में दलित वर्ग आकारान्त है व भाजपा दलित विरोधी निखर रही है।
-क्या भाजपा की सोच में बदलाव आ रहा है या मात्र चुनावी जुमला है?
-क्या मोदी जी संवयम की सुनेगें या RSS की जो आरक्षण के मुद्दे पर पुन: चिन्तन की व आरक्षण का लाभ प्राप्त कर चुके व्यक्ति / वर्ग से स्वेच्छा से आरक्षण लाभ छोड़ने की बात कर रहा है।
-मोदी जी के भाषण की शैली प्रभाव शाली ज़रूर है परन्तु जमींन पर हक़ीक़त क्या है?
-गुजरात में वर्तमान राज्य सरकार शमशानो के निर्माण में दलितों के अलग शमशान निर्माण में आर्थिक मदद करती है अर्थात शमशान भी अलग अलग?
-हम नारे दे सकते है ,व्यावहारिकता नहीं,सोच नहीं बदली ?
यदि मोदी जी अपने मन की सोच की प्रेरणा से व्यावहारिकता में आचरण करे तो यह देश व सभी वर्गों के लिये परिणामजनक हो सकता है, एेसी मेरी मान्यता है लेकिन क्या उनको एेसा करने की स्वतन्त्रता है इसमें मुझको संशय है।

सत्य किशोर सक्सेना , एडवोकेट ,राजस्थान उच्च न्यायालय , जयपुर व पूर्व जिला प्रमुख , अजमेर (राज.)मो.9414003192

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