विकलांग का परिवारबारां । शाहाबाद ब्लॉक की ग्राम पंचायत भोयल के गांव डूडावर निवासी एक व्यक्ति 2 साल से विकलांग होने का अभिशाप झेल रहा है । बीमारी के चलते कोटा में इलाज के दौरान डॉक्टरों ने इसके एक पैर को काटना पड़ा । तब से ही परिवार की माली हालत हो गयी, और सरकार की और से आवास निर्माण के लिए मिली दूसरी किश्त भी इलाज में लग गयी । लड़का अजय पढ़ने से वंचित हो गया । जबकि अभी इसकी उम्र पढ़ने की है । पढ़ने की उम्र माँ का हाथ बटाता हऔर आवास अधूरा रह गया । विकलांग की पत्नी गुजरिया सहरिया ने बताया कि मेरे पति रघुवर पुत्र मदन 42 के गैंगरीन बीमारी हो जाने के कारण 2 वर्ष पुर्व एक पैर को कटवाना पड़ा । तब से घर की आजीविका में स्वयं ही मेहनत मजदूरी करके चला रही हूँ । मेरे 3 बच्चे है । अजय ( 12 ), निरमा, (11 ),लक्षमी, (7 ) है । पुरे परिवार का बोझ मेरे कंधो पर है । विकलांग पति कुछ नही कर पाते है । कई बार सरकारी लाभ के लिए फार्म भरे मगर अभी तक कुछ नही हुआ । वहीँ सरकारी आवास की दूसरी किश्त भी मिल गयी मगर निर्माण अधूरा है । राशन सामग्री नियमित रूप से मिल रही है । मगर विकलांग पेंशन से वंचित हूँ । जानकारी करने पर सामने आया कि अभी तक इसके पास विकलांग सर्टिफ़िकेट भी नहीं है । इसके 12 वर्षीय अजय ने 5 वीं तक पढ़ाई कर छोड़ दी है । पीड़ित की पत्नी गांव में ही मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का गुजारा कर रही है । इसका कहना है कि विकलांग पेंशन मिल जाये तो सहारा लग जायेगा ।