घुमंतू लोग अपनी पहचान के लिए कर रहे संघर्ष, बिना पहचान के नहीं मिल रहा लाभ
फ़िरोज़ खान बारां, ( राजस्थान )जयपुर, 9 जून
प्रदेश का वंचित वर्ग विशेषकर घुमंतू समुदाय अपनी नागरिकता के लिए संघर्ष कर रहा है. इस समुदाय के लोगों के पास न राशन कार्ड है और न ही पहचान का कोई अन्य दस्तावेज़. बिना पहचान के यह वर्ग मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. देश की सरकारों का ध्यान इस समुदाय पर नहीं है. राज्य सरकार घुमंतू समुदाय को एक पहचान दे ताकि यह समुदाय भी मूलभूत सुविधाओं का लाभ उठा सके. साथ ही प्रदेश में अकाल और सूखे की सबसे ज्यादा मार घुमंतू समुदायों पर पड़ रही है. यह समुदाय चारागाह पर निर्भर हैं, इनके पास पशु हैं लेकिन चारे की कोई पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. अतः सरकार इस वर्ग के लिए पानी की व्यवस्था करते हुए चारा डिपो खोले और सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सूखा घोषित इलाकों में रहने वाले घुमंतू समुदाय को राशन कार्ड न होने पर भी राशन से वंचित रखा जाये. यह मांगें आज वंचित वर्गों पर सूखे के प्रभाव पर हुई जनसुनवाई में प्रदेश भर से आये घुमंतू, दलित, आदवासी, एकल महिलाओं ने राज्य सरकार से की. जनसुनवाई में लोगों ने बताया कि घुमंतू समुदायों को शमशान भूमि में जगह न मिलने के कारण अपने घरों में ही मुर्दों को गाड़ना पड़ता है. अतः सरकार घुमंतू समुदायों को भी श्मशान भूमि आवंटित करे.
गौरतलब है कि एक जून से शहीद स्मारक पर ‘जवाब दो’ धरना जारी है. धरने में विभिन्न मुद्दों पर जन सुनवाईयां आयोजित कर सरकार से जवाबदेही की मांग की जा रही है. इसी कड़ी में आज वंचित वर्गों के मुद्दों पर जन सुनवाई हुई. सूचना रोज़गार अभियान से जुड़े पारस बंजारा ने बताया कि सरकार ने विभिन्न कानून जैसे वन्य जीव पशु कल्याण अधिनियम, पशु क्रूरता एवं अत्याचार अधिनियम, गो-वंश प्रतिषेध अधिनियम, 1995, और ऊँट संरक्षण के नाम पर कानून बनाकर इन समुदायों को पैतृक व्यवसायों से विमुख कर दिया है जिससे आज ये समुदाय रोज़गार के भयंकर संकट से जूझ रहे हैं. उन्होंने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि आज भी लगभग 15% जनसख्या वाले इन समुदायों के पास सरकारी दस्तावेज़ न होने की वजह से सरकारी योजनाओं का लाभ इन्हें नहीं मिल रहा है तथा सरकार ने जो आदेश इन समुदायों के लिए पारित किये उनकी धरातल पर अनुपालना शून्य है. लोकधारा नेटवर्क से जुड़े उम्मेद सिंह रेबारी ने बताया कि सरकार सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पशुओं के लिए आवंटित बजट का इस्तेमाल नहीं कर रही है.
वन अधिकार मुद्दों पर चर्चा कल
अभियान से जुड़े श्याम लाल मनेरिया ने बताया कि कल धरना स्थल पर जल, जंगल, जमीन व वन अधिकार के मुद्दों पर चर्चा होगी. इस चर्चा में सहरिया, भील, गरासिया व अन्य आदिवासी समुदायों के लोग शामिल होंगे. इस चर्चा में आदिवासी अधिकारों पर काम करने वाले बिजोय पांडा और कैंपेन फॉर सर्वाइवल एंड डिग्निटी की मधु सरीन भी शिरकत करेंगी.
राईट टू चॉइस पर एक संवाद
इज्ज़त के नाम पर नौजवानों पर हो रहे अपराध व हत्या के खिलाफ एक संवाद कल 10 जून को शाम 4 बजे धरना स्थल शहीद स्मारक पर आयोजित किया जायेगा. इस सन्दर्भ में एक प्रभावी कानून बनाये जाने की मांग भी उठाई जाएगी. इस संवाद में ऐडवा की राष्ट्रीय महासचिव जगमाती सांगवान, सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय, पी यू सी एल की राष्ट्रीय महासचिव कविता श्रीवास्तव व अन्य प्रबुद्ध जन भाग लेंगे l
फ़िरोज़ खान बारां राजस्थान