जिला कलक्टर,
अजमेर।
विषयः- अमृत योजना के तहत कुछ सुझाव।
महोदय,
आज के समाचार पत्रों से जानकारी में आया है कि आप ‘अमृत योजना‘ के तहत सुभाष उद्यान को ‘कल्चरल पार्क‘ के रूप में विकसित करने की ओर प्रयासरत है। आपका साधुवाद। निश्चय ही अजमेर में कार्यभार ग्रहण करते ही आपने द्रुतगति से अजमेर के विकास की बागडोर संभालकर सक्रिय नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया है। जिन विषयों पर कभी किसी ने ध्यान तक नहीं दिया आपने उन सार्थक बिन्दुओं को ध्यान में लाकर उन्हें अजमेर के विकास की कड़ी के रूप में जोड़ते हुए क्रियान्वयन के प्रयास प्रारम्भ कर दिये हैं। हम सभी आपकी सकारात्मक कार्यशैली के कायल हो गए हैं। मैं इस संबंध में कुछ सुझाव यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँः-
1. संस्कृति उद्यान ‘कल्चरल पार्क‘ के रूप विकसित किये जा रहे सुभाष उद्यान की वीर वाटिका या अन्य उपयुक्त स्थान पर एक मिनी ‘ओपन एयर गार्डन थियेटर‘ भी बनाया जाए। इसमें अधिक व्यय नहीं होगा किन्तु यह सांस्कृतिक नगरी कहे जाने वाले अजमेर के सांस्कृति संवर्द्धन के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगा। यहाँ जन्माष्टमी, दशहरा, होली, शीतता सप्तमी, नव संवत्सर इत्यादि पर्वाें पर छोटे सांस्कृतिक आयोजन सहजता से किए जा सकेंगे।
2. इस कल्चरल पार्क में कुछ ‘म्यूजिकल फाउण्टेन‘ भी लगाये जाएं। चूंकि अजमेर स्वामी दयानन्द की निर्वाण स्थली है और दरगाह व पुष्कर तीर्थ के लिए प्रसिद्ध है, इसलिए इन फाउण्टेन में वैदिक मंत्रोच्चार, ऊँकार धुन, भजन व उर्दु कलामों का उपयोग किया जाए तो अलग ही आकर्षण बन सकेगा।
3. अनेक वर्षाें से अजमेर के हम जैसे साहित्य व कला से जुड़े अव्यावसायिक साधकों की मांग रही है कि हम कोई निःशुल्क स्थान उपलब्ध कराया जाए जहाँ सांस्कृतिक गतिविधियों का संचालन नियमित किया जा सके। यहाँ केन्द्रिय स्थान पर कोई उपयुक्त कला दीर्घा भी नहीं है जहाँ विविध ललित कलाओं के प्रदर्शन का अवसर मिल सके। मेरा सुझाव है कि इण्डोर स्टेडियम के बायीं ओर व पटेल मैदान के गेट की साइड दीवार के बीच में एक परिसर अनुपयोगी सा पड़ा है। इस परिसर पर एक बहुमंजिला इमारत बनाकर उसमें एक मंजिल पर ‘कला दीर्घा‘ दूसरी मंजिल पर संगोष्ठी कक्ष तथा तृतीय मंजिल पर एक छोटा रंगमंच ‘मिनी थियेटर‘ बनाया जाए। कला दीर्घा में चित्रकला, फोटोग्राफी, मूर्तिकला, विविध लोककला इत्यादि से जुड़े कलाकारों को अपनी कलाकृतियों के प्रदर्शन का अवसर मिल सकेगा। संगोष्ठी कक्ष में नियमित साहित्यिक-सांस्कृतिक गोष्ठियां हो सकेंगी तथा मिनी थियेटर में नृत्य, नाटक, संगीत व मंचीय लोक कलाओं से संबंधित प्रशिक्षण-प्रोत्साहन हेतु कार्यशालाओं इत्यादि के आयोजन के साथ-साथ रिहर्सल आदि के लिए उपयुक्त स्थान उपलब्ध हो सकेगा।
किसी भी शहर के विकास में वहाँ की सांस्कृतिक-साहित्यिक गतिविधियों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। हमें विश्वास है कि आप भी इसकी महत्ता को समझते हुए कलाकारों व साहित्यकारों को न्यूनतम व्यय में आकार ले सकने वाले उपर्युक्त संसाधन उपलब्ध करवाकर सहयोग करेंगे।
आपका सहयोग ही हमारा सम्बल है।
सादर,
उमेश कुमार चौरसिया
निर्देशक व अध्यक्ष ‘नाट्यवृंद‘
बी-104 राधा विहाऱ, हरिभाऊ उपाध्याय नगर-मुख्य, अजमेर-305004(राज.)
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