बड़ी सादड़ी // चित्तौड़गढ़ जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ भारत मिशन का रूप अलग ही देखने में आ रहा है । लोगों में इतना उत्साह है कि वह शौचालय निर्माण के लिए किसी भी स्तर तक जाने में संकोच नहीं कर रहे हैं । बड़ी सादड़ी उपखंड के ग्राम पंचायत मूंझवा के राजस्व ग्राम पायरी में ऐसा ही एक घटनाक्रम देखने को मिला 70 वर्षीय वृद्ध विधवा केसरी बाई अपने दिव्यांग पुत्र लक्ष्मण सिंह और उसकी पत्नी के साथ कच्चे झोपड़े में अपना जीवन निर्वाह पेंशन के सहारे और छोटी मोटी बहू द्वारा की जा रही मजदूरी से मुश्किल से कर पा रही है । किंतु गांव में जब अन्य लोगों ने शौचालय का निर्माण प्रारंभ किया तो केसरी बाई ने भी इस बाबत ग्राम पंचायत में ग्राम सेवक जी ,सरपंच जी और स्कूल के अध्यापकों से इस बारे में सुना केसरी बाई को बात समझ में आ गई कि बाहर शौच करना कितना नुकसानदेह है । वृद्धा ने घर पर आकर इसकी चर्चा अपने बेटे और बहू से की किंतु संकट अर्थव्यवस्था का था । साधारण से शौचालय निर्माण करने में भी 10 -12 हजार रुपए की लागत तो लगनी ही थी । केसरी बाई की बहू ने इसका समाधान यह निकाला कि अपनी चांदी की कड़ियां शौचालय निर्माण के लिए समर्पित कर दी कि शौचालय निर्माण तो करना ही है, चाहे मेरी कड़ियां बेचनी ही क्यों ना पड़े । केसरी बाई ने बहू की चांदी की कड़ियों को बानसी के साहूकार के यहां गिरवी रखा और ₹10000 ले आई । प्राप्त नगदी से निर्माण सामग्री क्रय कर शौचालय का निर्माण शुरू कराया गया ।
पहाड़ी क्षेत्र होने से केसरी बाई का घर ढलान पर स्थित है तो टैंक की खुदाई में भी काफी श्रम करना पड़ा है । अब शौचालय का निर्माण अंतिम दौर में है जब इस बात का पता ग्राम प्रभारी कन्हैयालाल को लगा तो उसने पूरी कहानी उपखंड अधिकारी और पंचायत प्रभारी को बताई । उपखंड अधिकारी जितेंद्र पांडे ने ग्राम सेवक और ग्राम प्रभारी को निर्देश दिए कि जैसे ही केसरी बाई के यहां शौचालय का निर्माण पूर्ण हो तुरंत उसकी सी.सी. तैयार कर भुगतान की व्यवस्था करावे ताकि केसरी बाई की बहू की चांदी की कड़ियां साहूकार के यहां से वापस प्राप्त की जा सके । साथ ही उपखंड से जुड़े हुए सभी कार्मिकों को भी यह कहानी लोगों से संपर्क में बताने को कहा कि देखें ऐसी स्थिति में भी लोग शौचालय बनवा रहे हैं तो वह लोग क्यों नहीं बनवा सकते । केसरी बाई और उसका परिवार राजस्व ग्राम पायरी में एक मिसाल का काम कर रहा है और जो लोग शौचालय बनाने में अभी तक आनाकानी कर रहे थे, वह भी अब आगे बढ़ चढ़ कर शौचालय निर्माण के लिए संकल्पित हो रहे हैं ।