(मायावती के 61वें जन्मदिवस 15 जनवरी 2017 पर विशेष)
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 को दिल्ली में एक दलित परिवार में हुआ था। मायावती के पिता का नाम प्रभुदयाल और माता का नाम रामरती था। मायावती के छः भाई और दो बहनें हैं। इनका पैतृक गाँव बादलपुर है जो कि उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जनपद में स्थित है। मायावती के पिता प्रभुदयाल भारतीय डाक-तार विभाग के वरिष्ठ लिपिक थे। माता रामरती गृहिणी थीं। माता रामरती ने अनपढ़ होने के वावजूद अपने सभी बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया और सबको योग्य बनाया। मायावती ने कालिंदी कॉलेज, दिल्ली, से कला में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और उसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से एल.एल.बी और बी. एड भी किया। मायावती के पिता प्रभुदयाल उनको भारतीय प्रशासनिक सेवा में भेजना चाहते थे। इसके लिए मायावती भारतीय प्रशासनिक सेवा की तयारी करने लगी। भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी के साथ-साथ 1977 में मायावती ने शिक्षिका के रूप में कार्य करना शुरु कर दिया। इसी बीच मायावती बसपा के संस्थापक कांशीराम के सम्पर्क में आयीं। मायावती ने कांशी राम द्वारा शुरू किये गए कार्यों और परियोजनाओं से प्रभावित होकर उनके पद चिन्हों पर चलने का निर्णय लिया। मायावती ने काशीराम के कहने पर ही भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी छोड़कर राजनीति में आने का निर्णय लिया। काशीराम द्वारा 1984 में बहुजन समाज पार्टी की स्थापना के बाद मायावती शिक्षिका की नौकरी छोड़ कर बहुजन समाज पार्टी की समर्पित पूर्णकालिक कार्यकर्त्ता बन गयीं। मायावती ने अपना पहला लोकसभा चुनाव भी 1984 में मुजफ्फरनगर जिले की कैराना लोकसभा सीट से लड़ा। और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद कांग्रेस के प्रति लोगों की सहानभूति की लहर में हार का सामना करना पड़ा। लेकिन मायावती ने पहले नुनाव से ही दलित लोगों में अपनी पैठ बढ़ाना शुरू कर दी थीं। दूसरी बार मायावती ने 1985 बिजनौर उपचुनाव में अपनी किस्मत आजमाई लेकिन फिर हार का सामना करना पड़ा। लेकिन मायावती का वोट पहले के मुकाबले बढ़ गया। मायावती ने अपना तीसरा चुनाव 1987 में हरिद्वार से लड़ा, इस चुनाव में मायावती दूसरे स्थान पर रहीं और उन्हें सवा लाख से ज्यादा वोट मिला। तीन हार के बाद मायावती ने हार नहीं मानी और दलितों में अपनी पैठ बढाती गयीं। इस बीच उनके चाहने वालों की तादात भी बढ़ती गयी। इतने सारे प्रयासों के बाद सन् 1989 में बिजनौर से मायावती भरी वोटों से पहली बार संसद के लिए चुन गयीं। सन 1995 में मायावती उत्तर प्रदेश की गठबंधन सरकार में पहली दलित मुख्यमंत्री बनीं। मायावती जून 1995 से अक्टूबर 1995 तक प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं। मायावती दूसरी बार 1997 में भाजपा के सहयोग से दूसरी बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। बतौर मुख्यमंत्री मायावती का दूसरा कार्यकाल मार्च 1997 से सितंबर 1997 तक रहा। मायावती की दलितों में जमीनी पकड़ और आक्रामकता के चलते 1989 में महज चार लोकसभा सीट जीतने वाली बसपा ने 1999 के लोकसभा चुनाव में 14 सीटें जीतीं। 2001 में बसपा संस्थापक काशीराम ने मायावती को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। मायावती 2002 के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा के सहयोग से तीसरी बार एक साल के लिए प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। मायावती के शुरुआत के तीनों मुख्यमंत्री काल काफी संक्षिप्त थे। 2003 में मायावती पर ताज कॉरिडोर परियोजना में भ्रष्टाचार के आरोप लगे। इस परियोजना में ताजमहल के आसपास के क्षेत्र की खूबसूरती बढ़ाने के लिए आगरा में एक प्रॉजेक्ट शुरू किया जाना था। इसके तहत ताजमहल को आगरा के किले से जोड़ा जाना था और इस गलियारे में मॉल और अम्यूजमेंट पार्क बनाए जाने थे। अनुमान के मुताबिक इस पर 175 करोड़ रुपये खर्च होने थे। इस प्रस्तावित राशि में से 17 करोड़ रुपये जारी भी हो चुके हैं। लेकिन मायावती पर परियोजना के लिए जारी किए गए धन का निजी रूप से इस्तेमाल करने का आरोप लगा। इस मामले में 2003 में सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद सीबीआई ने मायावती और उनके तत्कालीन कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी समेत कई अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू की। 2007 में मायावती के सत्ता में आने के बाद राज्यपाल से सीबीआई को उन पर मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं मिल सकी। इसके बाद सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने भी इन दोनों के खिलाफ मामला खारिज कर दिया।
– ब्रह्मानंद राजपूत, दहतोरा, शास्त्रीपुरम, सिकन्दरा, आगरा
