देवों के देव महादेव की पूजा अर्चना का पर्व—महाशिवरात्रि Part-2

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
शिवलिंग क्या है?——शिवलिंग का अर्थ होता है शुभ प्रतीक का बीज, शिव की स्थापना लिंग रूप में की जाती है, वही क्रमश: विकसित होता हुआ सारे जीवन को आवृत्त कर लेता है | वातावरण सहित घूमती धरती या सारे अनंत ब्रह्माण्ड की अक्स ही लिंग है। इसीलिए इसका आदि और अन्त को जानने का सामर्थ्य साधारण जनों में नहीं है यहाँ तक किदेवताओं के लिए भी यह अज्ञात ही है। सौरमण्डल के ग्रहों के घूमने की कक्ष ही शिवजी के तन पर लिपटे सांप हैं।
जानिये शिवलिंग मंदिरों में बाहर क्यों होता है?—-जनसाधारण के देवता होने से, सबके लिए सदा सुगमता से पहुंच की जगह में रहे, ऐसा मानकर ही शिवलिंग को मन्दिरों में बाहर ही स्थापित किया जाता है,। शिव अकेले देव हैंजो गर्भगृह में भक्तों को दूर से ही दर्शन देते हैं। इन्हें तो बच्चे-बूढे-जवान जो भी जाए छूकर, गले मिलकर या फिर पैरों में पड़कर अपना दुखड़ा सुना कर हल्के हो सकते हैं। भोगलगाने अर्पण करने के लिए कुछ न हो तो पत्ता-फूल, या अंजलि भर जल चढ़ाकर भी शिव को खुश किया जा सकता है।

शिव महादेव क्यों हैं?— बड़ा या महान बनने के लिए त्याग, तपस्या, धीरज, उदारता और सहनशक्ति की आवश्यकता होती है। विष को अपने भीतर ही सहेज कर आश्रितों के लिए अमृत देने वाले होने से एवं विरोधों, विषमताओं के मध्य संतुलन रखते हुए अपने विशालकाय परिवार को एक बना रखने की शक्ति रखने वाले शिव ही महादेव हैं।
सकंलन कर्ता—-डा.जे.के. गर्ग
सन्दर्भ— विभिन्न पत्र पत्रिकायें, शिव भक्तों से प्राप्त जानकारियां एवं मेरी डायरी के पन्ने

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