आखिर डी एल बी ने अपना वही काम कर दिया जिसके लिए वो बदनाम है , गलत का साथ देने वालो को हमेशा ही डी एल बी से राहत मिलती आयी है अभी हाल ही में ताजा आदेश से यही प्रतीत होता है कि डी एल बी के अधिकारी किसी की नही सिर्फ पैसे की झंकार सुनते है ,जो काम यहाँ अजमेर के निगम अधिकारी भी मना कर देते है वही काम डी एल बी में कुछ वकीलो के जरिये अधिकारियो से सांठ गांठ कर करवा लिया जाता है , ऐसे एक नही अनेको उदाहरण है
अजमेर के दो समारोह स्थलों को खोलने के आदेश डी एल बी के पवन अरोरा के हस्ताक्षर से जारी हुए है , जिसमे लिखा है कि समारोह स्थल मालिक को सुनवाई का मौका नही दिया गया इसी आधार पर उसे खोल दिया जाए और फिर 15 दिन का समय उसे देकर उचित कार्यवाही की जाए , यहाँ गौरतलब है की अगर डी एल बी चाहती तो उसे सुनवाई का मौका देने की कह सकती थी परंतु समारोह स्थल को खोलने की कहना ही अपने आप मे गड़बड़ जाहिर करता है , सुनवाई के बाद अगर अधिकारियो को लगता कि कार्यवाही गलत हुई है तो खोलना ही उचित था , परंतु सुनवाई से पहले सीज़ खुलवाना सरासर गलत ओर नियमो के विरुद्ध है , ऐसा निगम अधिकारी भी मानते है
आखिर डी एल बी चाहती क्या है क्या सिर्फ एक या दो समाराहों स्थलों को छूट देने से प्रश्न चिह्न नही खड़े होते ,अगर डी एल बी को लगता है कि अजमेर में या राजस्थान में समारोह स्थलों पर जो कार्यवाही की गई है वो गलत है और उन सभी को सुनवाई का मौका मिलना चाहिए था तो ये आदेश सभी के लिए आना चाहिए था न कि किसी एक या दो समारोह स्थलों के लिए
अजमेर में जिन दो समारोह स्थलों को इस आदेश के बाद खोला गया है उसमें एक लक्ष्मी नयन समारोह स्थल है जिसमे जाने का रास्ता 30 फ़ीट से भी कम है क्या डी एल बी के अधिकारी ने समारोह स्थल संचालक से पूछा कि वो सारे नियमो का पालन कर रहा है क्या , क्या उसने ये जानने की कोशिश की कि समारोह स्थल तक पहुचने का रास्ता कितने फ़ीट का है , सीधे ही आदेश जारी कर दिए खोलने के इससे साफ जाहिर होता है कि कुछ लेन देन का मामला निश्चित है ,
इस आदेश में जो कि पूर्णतया असंवैधानिक है और राजस्थान सरकार ही नही मोदीजी की मंशा के भी विपरीत है ,
मोदीजी के एक ट्वीट के बाद ही राजस्थान सरकार हरकत में आई थी और ताबड़तोड़ सभी अवैध समारोह स्थलों को सीज़ करने के आदेश दे दिए गए थे , उस वक़्त जो निगम द्वारा कार्यवाही की गई थी क्या वो गलत थी अगर वो गलत थी तो इस आधार पर तो सभी को सीज़ से मुक्त करना चाहिए और सुनवाई के मौके देकर फिर सीज़ करना चाहिये या फिर किसी एक या दो को इस तरह से नाजायज फायदा पहुँचाना जाहिर करता है कि समारोह स्थल संचालक जिसकी की भाजपा के बड़े नेताओं से संबंध ही नही है बल्कि उनके साथ उसकी पार्टनर शिप भी बताई जाती है , इतना प्रभावशाली व्यक्ति है वो की कुछ भी करवा सकता है इस सरकार में ,
पवन अरोरा अभी हाल ही में फिर विवादों में आये है पंकज चौधरी आईपीएस ने उन पर बहुत गंभीर आरोप लगाए है , उनकी भी जांच होनी चाहिए, पूर्व में भी इन्ही पवन अरोरा ने सरकार को दान में दी हुई रकम ब्याज के साथ वापस दानदाता को दिलवा दी थी
इतने गंभीर आरोपो के बावजूद अगर इस तरह के अधिकारी पदोन्नति पाते है तो सरकार पर भी इसका असर आता ही है , अगर सरकार वाकई ईमानदार है तो ऐसे अधिकारियो पर तुरंत कार्यवाही होनी चाहिए जो अपने आप को कानून से ऊपर मानते है ओर समझते है कि जो इन्होंने लिख दिया वही कानून है
इस मामले की एसीबी जांच होनी चाहिए ताकि दूध का दूध पानी का पानी हो सके
विनीत जैन
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