डूंगर कॉलेज में ब्रह्याण्ड से हिग्ज कण विषयक इनोवेशन श्रृंखला व्याख्यान सम्पन्न

(असममित दुनिया में सममित सिद्धान्त)
bikaner samacharबीकानेर 18 जुलाई। डूंगर महाविद्यालय के प्रताप सभागार में बी आई आर सी की इनोवेशन श्रृखंला के अन्तर्गत प्रथम व्याख्यान जर्मनी के रेगन बर्ग विश्व विद्यालय के अतिथि प्रोफेसर डा. विक्रम व्यास द्वारा दिया गया। शुरूआत में डूंगर कॉलेज के रेंगन बर्ग विश्व विद्यालय, जर्मनी के अतिथि प्रोफेसर डॉ. विक्रम व्यास ने ब्रह्याण्ड से हिग्ज कण विषय पर व्याख्यान दिया। मीडिया प्रभारी डॉ. राजेन्द्र पुरोहित ने बताया कि कार्यक्रम के प्रारम्भ में डॉ. व्यास, प्राचार्य डॉ. बेला भनोत एवं अन्य अतिथियों ने मां संरस्वती के आगे दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारम्भ किया। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. बेला भनोत अन्य संकाय सदस्यों ने डॉ. विक्रम व्यास एवं डॉ. एच.पी. व्यास का पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. एम.डी.शर्मा ने किया।
इनोवेशन श्रृखंला का परिचय देते हुए डा. रविन्द्र मंगल ने डूगंर महाविद्यालय द्वारा किये जा रहे इनोवेशन प्रोगाम व रिसर्च प्रोग्राम – लर्निग बाइ डूंईग, ग्रीन प्लास्टिक, सोलर एनर्जी, फूड एनालिसिस आदि पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम प्रभारी डॉ. रविन्द्र मंगल ने डॉ. विक्रम व्यास का संक्षिप्त परिचय देते हुए डॉ. व्यास के विभिन्न पदों पर रहते हुए भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में विषेष योगदान का उल्लेख किया। डॉ. व्यास ने अमेरिका, इटली एवं जर्मनी आदि कई देषों में रहकर अपना शोध कार्य किया । डॉ. मंगल ने अन्य अतिथियों का विस्तृत परिचय प्रस्तुत किया। सहायक निदेषक डॉ. दिग्विजय सिंह ने कहा कि इस प्रकार के व्याख्यान से निष्चित रूप से विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा। उन्होनें इस संबंध में कुछ पौराणिक तथ्यों का भी उल्लेख किया। मुख्य वक्ता डॉ. विक्रम व्यास ने ब्रह्याण्ड के विभिन्न घटकों का उल्लेख किया। उन्होनें ब्राउनियन गति, परमाणु व इलेक्ट्रोन की खोज के बारे में बताया। उन्होनें इस बारे में आईन्सटीन के वक्तव्य का भी विस्तार से उल्लेख किया। उन्होनें लघु चलचित्र के माध्यम से भी विद्यार्थियों का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होनें रदरफोर्ड के परमाणु की संरचना के बारे में दिये गये सिद्धान्तों का भी उल्लेख किया। क्वान्टम फीन्ड सिद्धान्त एवं फेनमेन आलेखों का भी उल्लेख करते हुए डॉ. व्यास ने विद्यार्थियों की जिज्ञासा को शांत किया। डॉ. व्यास ने विद्युत चुम्बकीय तरंगों एवं विभिन्न प्रकार के मूलभूत बलों को भी विस्तार से बताया। उन्होनें कहा कि विद्युत चुम्बकीय बल व दुर्बल बल एक ही होते हैं। डॉ. व्यास ने आगे बताया कि इस असममित दुनिया में सममित सिद्धान्त लागू होते हैं। उन्होनें विद्यार्थियों को विज्ञान के इस क्षेत्र में शोध करने का आह्वान किया डॉ. व्यास ने कहा कि शोध प्रारम्भ करने की कोई उम्र नहीं होती वरन् व्यक्ति को जीवन पर्यन्त शोध में नवाचार ढ़ूंढते रहना चाहिये।
अपने उद्बोधन में प्राचार्य डॉ. बेला भनोत ने डॉ. व्यास का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि महाविद्यालय डॉ. व्यास के पधारने पर गौरान्वित महसूस करता है। डॉ. भनोत ने भविष्य में भी इस प्रकार के व्याख्यानों की आवष्यकता पर बल दिया। उन्होनें से विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे भी डॉ. व्यास से भौतिकी के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा कर लाभान्वित होवें।
पूर्व कुलपति डॉ.एच.पी.व्यास ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में माइक्रोइलेक्ट्रोनिक्स के बारे में व्याख्यान दिया।
इस अवसर पर संकाय सदस्य डॉ. मीना रानी, श्री षिव कुमार आचार्य, डॉ. जी.पी. सिंह, डॉ. अनिला पुरोहित, डॉ. इन्द्रा विष्नोई, डॉ. प्रकाष अमरावत, डॉ. अनिल अरोड़ा, डॉ. नवदीप सिंह, डॉ. सुमन चन्द्र शर्मा, डॉ. नरेन्द्र भोजक, डॉ. विक्रमजीत सिंह, डॉ. शषिकान्त, डॉ. आर.पी.माथुर, डॉ. सोमनारायण पुरोहित, डॉ. सोनु षिवा, डॉ. स्मिता शर्मा, डॉ. मोनिका क्षेत्रपाल, डॉ. अनामि भार्गव एवं डॉ. प्रताप सिंह सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी एवं शोधार्थी आदि उपस्थित रहे। डॉ. जी.पी. सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
– मोहन थानवी

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