फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ही शिवरात्रि क्यों मनायी जाती है ? जनसाधारण के मन में सवाल उत्पन्न होता है कि क्यों फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है ? ऐसा माना जाता है कि सृष्टि की रचना इसी दिन हुई थी। मध्यरात्रि में भगवान् शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। ईशानसहिंता के अनुसारफाल्गुन चतुर्दशी की अर्द्धरात्रि में भगवान शंकर लिंग के रूप में अवतरित हुए। चतुर्दशी तिथि के महानिशीथ काल में महेश्वर के निराकार ब्रहम स्वरूपप्रतीक शिवलिंग का अविभार्व होने से भी यह तिथि महाशिवरात्रि के नाम से जानी जाती है |इसी दिन, भगवान विष्णु व ब्रह्मा के समक्ष सबसे पहले शिव का अत्यंतप्रकाशवान स्वरूप(आकार) प्रकट हुआ था। कहा जाता है कि शिवरात्री के दिनभगवान शिव और आदि शक्ति का विवाह हुआ था। ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही समुद्र मंथन के दौरान कालकेतु विष निकला था।भगवान शिव ने संपूर्ण ब्राह्मांड की रक्षा के लिए स्वंय ही सारा विष पी लिया था। इससे उनका गला नीला पड़ गया और तभी से शिवजी को नीलकंठ के नाम से जाना जाता है।
प्रस्तुतिकरण—-डा.जे.के.गर्ग
सन्दर्भ——– विभिन्न पत्र पत्रिकायें, शिव भक्तों से प्राप्त जानकारियां एवं मेरी डायरी के पन्ने आदि