काॅलेज में 65 लाख रू के निर्माण में घटिया कार्य

महाविद्यालय प्रशासन व पीडब्लूडी विभाग आमने सामने
विभागीय अधिकारी ठेकेदार को बचाने पर है आमदा
विद्यार्थी अधूरे भवन से हो रहे है परेशान, प्रायोगिक कक्षाओं का नहीं हो रहा है संचालन

शाहपुरा (भीलवाड़ा)-
शाहपुरा के राजकीय महाविद्यालय में रूसा योजना के अंर्तगत स्वीकृत राशि से चल रहा निर्माण कार्य ठेकेदार व सार्वजनिक निर्माण विभाग की लापरवाही के चलते इन दिनों संदेह के घेर में आ गया है। करीब सवा साल की अवधि बीत जाने के बाद भी कार्य के पूरा न होने व कार्य में बार बार घटिया सामग्री व नियम विरूद्व करने के कारण विद्यार्थियों को अध्ययन में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ठेकेदार के द्वारा भी बार बार इस कार्य को सबलेट कर अन्य के द्वारा कराने के कारण निर्माण कार्य में एक रूपता न आने से महाविद्यालय प्रशासन की ओर से बार बार सावचेत करने के उपरांत भी अब तक निर्माण कार्य को सही नहीं किया गया है। निर्माण विभाग के स्थानीय अधिकारियों के मौके पर पहुंच कर अब तक हुए कार्य को सही नहीं ठहराने के उपरांत और निर्माण कार्य की अवधि बीत जाने के भी कार्य करने वाले ठेकेदार बीएसएस कांट्रेक्टर्स देवली के विरूद्व किसी भी प्रकार की विभाग ने न तो पेनल्टी लगायी है और नही उसके खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई की है। उधर महाविद्यालय प्रशासन ने सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा लगातार असहयोग करने के कारण अब रूसा परियोजना के स्टेट डायरेक्टर को सीधे ही वस्तुस्थिति से अवगत कराया तो उनके द्वारा जांच के निर्देश दिये है जिस पर काॅलेज प्रतिनिधि 9 फरवरी को जयपुर पहंुच कर इस मामले की सच्चाई को वहां प्रस्तुत करेगें। उल्लेखनीय है कि निर्माण कार्य के लिए 65 लाख रू की स्वीकृति जारी कर निर्माण विभाग द्वारा कार्य आदेश ठेकेदार को जारी कर दिया गया था जिसके अनुसार ठेकेदार को 14 सितंबर 2017 को ही कार्य को पूरा करना था पर आज तक कार्य अधूरा ही पड़ रहा है। मौके पर अभी जो निर्माण कार्य अब तक किया गया है उसको देखकर भी नहीं लगता है कि कहीं पर भी नियमों व मानदंडों का पालन किया गया है। ऐसी स्थिति में यहां पर सवालिया निशान लगना स्वाभिक है कि कहीं न कहीं पर मिलीभगत तो है ही है।
राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो केसी लढ़ा व निर्माण कमेटी के सदस्य प्रो. आर के सिंह बताते है कि ठेकेदार द्वारा पहले दिन से जो कार्य प्रांरभ किया गया था जिसकी समय समय पर सार्वजनिक निर्माण विभाग के स्थानीय अधिशाषी अभियंता व सहायक अभियंता को शिकायत की गई तो वो समय समय पर महाविद्यालय की साइट चेक करने के लिए आये और महाविद्यालय की ओर से प्रस्तुत बात को सही मानते हुए ठेकेदार को वहीं पर कार्य में रद्दोबदल के निर्देश दिये गये परंतु बाद में विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत व लापरवाही के कारण निर्माण कार्य का सुपरवीजन करने के बजाय अधिकारी ठेकेदार से सांठगाठ कर महाविद्यालय की शिकायत को तवज्जो देने से बाज आने लगे।
इस निर्माण कार्य को लेकर हालांकि एक बार निर्माण विभाग की ओर से ठेकेदार को एक नोटिस भी जारी किया गया जिसमें साफ कहा गया है कि नये निर्माण कार्य के भवन के लिन्टल नियमानुसार भरे जाए, तकनीकी रूप से वहां पर कार्य नहीं करके घटिया तरीके से बिना लेवल व बराबर चैड़ाई में उनका भराव नहीं किया गया है, कंक्रीट की गुणवता में सुधार किया जाए पर उस पर तीन माह के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। अधिशाषी अभियंता ने लिन्टल को हटाकर पुनः नियमानुसार तकनीकी रूप् से दीवार की बराबर चैड़ाई में विभागीय प्रतिनिधि की मौजूदगी में कार्य करने के निर्देश ठ ेकेदार को दिये जिसे भी अनसुना कर दिया गया। यहीं नहीं इस नोटिस में डिफेक्टिव वर्क को हटाकर नया निर्माण करने की बात को कहा गया है जिसे भी ठेकेदार ने अनुसना कर दिया है।
निर्माण कमेटी के सदस्य प्रो. आर के सिंह ने बताया कि महाविद्यालय में बनने वाले नये भवन के निर्माण कार्य के लिए रूसा योजना के तहत स्वीकृति के बाद प्राचार्य की अध्यक्षता में निर्माण कमेटी का गठन किया गया है। हालांकि निर्माण विभाग के अधिकारियों को सुपरवीजन करना था पर विभाग सुपरवीजन शुल्क लेने के बाद भी अपना कार्य ईमानदारी से करने के बजाय ठेकेदार को लाभ पहुंचाने पर आमादा है। इससे साफ जाहिर होता है कि कहीं न कहीं पर अधिकारियों की ठेकेदार से सांठगांठ है। प्रो. सिंह ने निर्माण कार्य को मौका निरीक्षण कराते हुए बताया कि आज तक घटिया निर्माण कार्य होने के कारण कार्य अधूरा पड़ा है। इससे महाविद्यालय प्रशासन के साथ ही विद्यार्थी भी अध्ययन के लिए परेशान हो रहे है। कार्य पूरा न होने के कारण कक्षा कक्षों के अभाव में विद्यार्थी बरामदों में बैठे है और प्रयोगशाला कक्ष का कार्य अधूरा होने से प्रायोगिक कक्षाओं को लगाने में परेशानी हो रही है।

इनका कहना है कि
काॅलेज द्वारा आरोपी भाषा युक्त पत्राचार, विभागीय कार्मिकांे के साथ दुव्र्यवहार व निरंतर मानसिक प्रताड़ना के कारण कोई भी कार्मिक कार्य स्थल पर कार्य करने को तैयार ही नहीं है। इस संबंध में रूसा परियोजना के स्टेट डायरेक्टर को पत्र लिखा जाकर वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया है। काॅलेज प्रशासन कार्य में सहयोग नहीं करेगा तो गति तो धीमी पड़ेगी।
बीपी दाहिमा, अधिशाषी अभियंता, सार्वजनिक निर्माण विभाग शाहपुरा

काॅलेज में रूसा योजना के तहत 65 लाख रू की लागत से होने वाले कार्य में घटिया सामग्री, तकनीकी के अभाव में चल रहे कार्य को हमने रोका, अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर हमारी बात को सही भी माना और स्वीकार किया है कि वास्तव में निर्माण घटिया है तो फिर अब अपनी जवाबदारी से विभाग पीछे क्यों हट रहा है। काॅलेज की निर्माण कमेटी को निर्माण कार्य की गुणवत्ता का ध्यान रखने का अधिकार है, घटिया निर्माण को हम कतई बर्दाश्त नहीं करेगें।
प्रो. केसी लढ़ा, प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय शाहपुरा

राजकीय महाविद्यालय में रूसा योजना के तहत चल रहे निर्माण कार्य में पहले दिन से घटिया कार्य होने, तकनीकी ज्ञान के अभाव में लेवल सही नहीं होने, सिमेंट व सरियों का घटिया क्वालिटी का होने, पुरानी निर्माण सामग्री का ही उपयोग करने, लेवल का कार्य न होने की शिकायत की गई। शिकायत की प्रांरभिक व अधिकारियों की जांच में सही पाये जाने के उपरंात ठेकेदार को बाकायदा विभाग ने नोटिस जारी भी किये अब अपने ही नोटिस पर कार्रवाई के बजाय पीडब्लूडी के अधिकारी ठेकेदार की पसंद से कार्य कराने व उसको आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए मिलीभगत कर काॅलेज पर अनावश्यक दबाव बना रहे है। निर्माण कमेटी के सदस्य के रूप में मेरा जो विरोध है वो काॅलेज हित में जायज है। मेरी बात को न केवल विभाग के अभिंयताओं ने माना है वरन रूसा परियोजना के डायरेक्टर ने भी गड़बड़ी को सही मानकर जांच के निर्देश दिये है फिर ठेकेदार के साथ अब स्थानीय निर्माण विभाग के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। आखिर राष्ट्र के विकास में खर्च होने वाली 65 लाख रू की राशि का घटिया निर्माण क्यों बर्दाश्त किया जाए।
प्रो. आर के सिंह, समन्वयक, रूसा परियोजना शाहपुरा

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