कई ग्रामीण लौटे उल्टे पांव बोले इस प्रकार के शिविर से आखिर क्या लाभ ?
वल्लभनगर | राजस्व लोक अदालत न्याय आपके द्वार के तहत आज वल्लभनगर उपखंड क्षेत्र के नवानिया ग्राम पंचायत में शिविर का आयोजन किया गया किंतु शिविर में प्रमुख अधिकारियों के दोपहर तक उपस्थित नहीं होने के कारण ग्रामीणों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा | शिविर में समस्या समाधान हेतु आए ग्रामीणों ने बताया कि जब शिविर में अधिकारी भी उपस्थित नहीं है तो फिर ऐसे शिविर लगाने का क्या औचित्य ? केवल फॉर्मेलिटी की जा रही है इससे तो अच्छा शिविर लगाए ही नहीं तो भी हम काम तो करते ? आपको बता दें कि शिविर में दोपहर 2:00 बजे तक उपखंड अधिकारी सहित प्रमुख अधिकारी नदारद देखे गए थे साथ ही उपखंड अधिकारी वल्लभनगर उपखंड कार्यालय में भी उपस्थित नहीं थे | जब उपखंड कार्यालय में जाकर के उपखंड अधिकारी को दूरभाष पर संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि उपखंड कार्यालय में नहीं है तो कहीं ना कहीं शिविर में अधिकारी व्यस्त होंगे | ग्रामीण पेयजल, वृद्धावस्था पेंशन , विधवा पेंशन, शौचालय प्रोत्साहन राशि, खाद्य सुरक्षा योजना में नाम जुड़वाने , पीएम आवास में पात्र व्यक्तियों को लाभ नहीं मिलने जैसी कई समस्याएं लेकर शिविर में उपस्थित हुए थे | जब सुबह से करीब दोपहर 2:00 बजे तक प्रमुख अधिकारियों के आने का इंतजार ही करते रहे और समस्या समाधान नहीं दिखा तो ग्रामीण उग्र हो गए और हो हल्ला भी करने लगे | इसके बाद कई ग्रामीण तो उल्टे पांव अपने घर को चल दिए, वहीं कुछ नागरिक सरकार को कोसते भी दिखाई दे रहे थे | यदि सरकार की उचित मॉनिटरिंग सही नहीं रही और यही स्थिति रही तो इसका नतीजा विधानसभा चुनाव में सरकार को भुगतना पड़ सकता है | पूरे वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायतों पर यदि एक नजर डालें तो कई पात्र व्यक्ति पीएम आवास से वंचित हैं जबकि दलगत राजनीति से जुड़े सरपंच सचिव के द्वारा चहेतों को लाभ दिया जा रहा है | कुछ जागरुक नागरिकों द्वारा पात्र व्यक्तियों के नाम काटने का कारण भी विकास अधिकारी से लेकर के सरपंच सचिव से पूछा जा रहा है लेकिन उनके द्वारा कोई ठोस जवाब देने के बजाय टालमटोल की जा रही है, ग्रामीणों की मांग है कि SECC सूची 2011 में नाम आने के बावजूद जो नाम काटे हैं उनका कारण सहित हर ग्राम पंचायत में सूची चस्पा की जाए ताकि वास्तविकता का पता चल सके | इस संबंध में जागरुक नागरिकों ने बताया कि यदि नाम काटने का कारण नहीं बताया और यदि गलत तरीके से नाम काटा गया पाया जाता है और उसकी निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है तो लोकायुक्त जाना पड़ा तो भी जाएंगे और भ्रष्ट अधिकारियों को इसका सबक सिखाएंगे |