भारत माँ के ध्वज को हमने ,
लहू देकर फहराया है ।
राष्ट्रगान जन गण मन सबके ,
होठों पर तब आया है ।
जीते जी दीवार चुन गए ,
हँसते- हँसते फाँसी पर ।
अंगारों पर चलकर हमने ,
वंदे मातरम गाया है ।
सारा जीवन होम कर दिया ,
आज़ादी की वेदी पर ।
पराधीनता का यह बंधन ,
तब जाकर कट पाया है ।
ना जाने कितनी माँ- बहिनें ,
घुट -घुटकर रोई होगी ।
वीरांगनाओं ने सुहाग दे ,
माँ का कर्ज़ चुकाया है ।
आज़ादी के महापर्व पर ,
श्रध्दा सुमन चढ़ाएं हम ।
जिनके बल पर आज तिरंगा ,
घर- घर में लहराया है ।
– नटवर पारीक
डीडवाना – 341303
9414548148