यानी अब मंत्रियों और नेताओं को जो चीज पसंद होगी या वो जिसका इस्तेमाल करते होंगे, वही आपको उचित कीमतों पर मिल सकेगी। निर्मला जी भले ही सरकार गिराने की प्याज की ताकत को नहीं जानती हो, लेकिन गृहमंत्री और भाजपा की राज्य सरकारें बनाने के विशेषज्ञ अमित शाह को इसका अहसास है कि 1998 में प्याज की कीमतों ने दिल्ली में सुषमा स्वराज वाली भाजपा सरकार की गद्दी छीन ली थी। इसलिए उन्होंने प्याज से निकल रहे,आंसू थामने के लिए बैठक बुला ली है। देश में मंदी के कारण जहां उत्पादन,रोजगार,जीडीपी लगातार घट रहे ही,अकेले प्याज की कीमतें ही बढ़ रही है।कहां तो पहले कहा जाता था कि प्याज रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ, वही कहां अब प्याज खुद गरीबों के लिए प्रभु बन गया है।
ओम माथुर/9351415379