21वीं शदी के तीसरे दशक को सुखमय और खुशहाल बनाने के आसान मूल मन्त्र Part 2.

dr. j k garg
4.निराशा को कभी भी अपनी सोच के नजदीक नहीं आने दे | नकारात्मक सोच को छोड़ करके सकारात्मकता को अपनी सोच का अभिन्न अंग बनायें |छोटी से छोटी बातों में भी अच्छाई को ढूढें | याद रक्खे कि जीवन में खुशी प्राप्त करने के लिये दूसरों को भी यथाशक्ति खुश रखने का प्रयास करना जरूरी है | सच्चाई तो यही है कि खुशी हासिल करने के लिये अनुशासन, अनुकालताऔ में सामंजस्य और संतुलन रखना जरूरी है |

5.खुशी आदमी के भीतर ही होती है तथा रिलेक्स मन ही प्रगति और खुशहाली का प्रवेशद्वार है | अपने आप से से वादा करें नये दशक के वर्षों में हर परिस्तिथी में आप शांत और रिलैक्स्ड रहेगें | रिलेक्स रहने के लिये गहरी स्वास ले ओर छोड़े | .

6. हर दिन का प्रारम्भ सकारात्मक सोच के साथ करे, यानी यह सोंचे की ख़ुशी मेरा अधिकार है | मै दिन भर खुश रहुगां | जब कभी कोई अनहोनी घटना घट भी जाये तब भी अपने आप को सकारात्मक सोच पर केन्द्रित करते हुयें अपने आप को समझाये कि मेरे साथ इससे भी बुरा हो सकता था |

7.याद रखे की अगर अग्रज अपनो से छोटे को स्नेह और प्यार देंगे तो छोटे भी आप को जरुर सम्मान देंगे और आप का आदर भी करंगे | बच्चो को उनके अपने हिसाब से जीने का मोका दे, उनके कार्यकलापों मै टीका टिप्पणी नहीं करें | आप उन्हें सलाह तभी ही दें जब वे आप से सलाह मांगे |

डा. जे. के. गर्ग

error: Content is protected !!