इस तरह करवटे बदलते बदलते सुबह हो गई उसने अचानक देखा कि कि तीनों हिरणियाँ पेड़ के पास आकर खड़ी हो गई हैं और उनके साथ एक हिरण भी है । हिरण ने शिकारी से कहा कि तीनों हिरणिया उसकी पत्नी है तुम इनका शिकार कर लो और मुझे भी मार डालो | शिकारी ने सोचा कि हिरणी और हिरण पशु होकर भी त्याग और बलिदान की भावना रखते हैं, वहीं वह मनुष्य होकर भी स्वार्थी बना हुवा है । जीवों की हत्या करके परिवार का पालन करता है ? इसी पेशोपेष में बेल पत्र से शिवलिंग की पूजा भी हो गई | तभी भगवान शंकर ने प्रकट होकर शिकारी को आशीर्वाद दिया और वरदान देकर उसे पशुओं की हत्या के पाप से मुक्त कर श्रृंगवेरपुर का राजा गुह्य बनने और त्रेता में भगवान राम की सेवा का अवसर देने का आशीर्वाद दिया। त्रेतायुग में यही शिकारी राजा गुह्य बना | किद्वन्तियों के अनुसार तभी से भोले शिव शकंर की पूजा के लिये बेलपत्र काम में लिया जाता है |