…..एक जिंदगी में कई जिंदगियां जीने की कला है पुस्तकें

अजमेर लेखिका मंच के तत्वाधान में लॉक डाउन के इस समय का बेहतरीन सदुपयोग व रचनात्मकता को सार्थक बनाने के क्रम में ऑनलाइन पुस्तक परिचर्चा एवं काव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया
संयोजिका मधु खंडेलवाल के अनुसार इस ऑनलाइन पुस्तक परिचर्चा काव्य गोष्ठी का शुभारंभ विनीता बाड़मेरा की चार पंक्तियों से प्रेरित रहा
” किसी खास ने पूछा
“क्या होता है किताबें पढ़कर”?
मैंने भी कह दिया
“एक जिंदगी में न जाने कितनी जिंदगी जी लेती हूं किताबें पढ़कर

इन पंक्तियों को चरितार्थ करते हुए अजमेर लिखी का मंच की सभी साहित्यकार व रचनाकारों ने अपने अपने स्तर पर दुनिया की प्रसिद्ध पुस्तकों और प्रसिद्ध लेखकों की पुस्तक पढ़कर और ऑनलाइन उस पर परिचर्चा रखी अजमेर लेखिका मंच की कई रचनाकारों ने लॉक डाउन वे कोविड-19 पर खूबसूरत और लॉक डाउन को प्रेरित करती हुई राष्ट्रभक्ति के लिए कुछ रचनाएं भी ऑनलाइन लिखी
पुस्तकों के प्रति अपने प्रेम को दर्शाती चार लाइनों के बाद कविता जोशी जो श्रीरामचरितमानस का पठन कर रहे हैं उस पुस्तक की चर्चा करते हुए सीता की भूमिका पर प्रकाश डाला साथ ही काजल खत्री ने बताया कि वे “अमीर खुसरो” की
प्रसिद्ध पुस्तक से प्रेरित होकर कविता” रेगिस्तान होने का एहसास सभी के साथ साझा की
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए भारतीप्रकाश ने “युवल हरारी की पुस्तक होमोड्यूस के द्वारा :: रचित ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टुमारो का जिक्र करते हुए सभी को भविष्य की संभावनाओं से भी अवगत कराया
सुनीता जैन द्वारा पढ़ी जा रही पुस्तक” विश्व शांति एवं अहिंसा प्रशिक्षण “पर लिखी गई अहिंसा की कुछ लाइनों को सभी ने सराहा
ऑनलाइन हो रही इस प्रतिष्ठित पुस्तक परिचर्चा के अगले कदम को रेनू दत्त द्वारा “पंचायत नामा” की कथा “चार मूर्ख” ने ऊंचाइयां दी
इस परिचर्चा में मीना सोनी के द्वारा रचित कविता
“महफूज रहे दुनिया
हलचल कुछ ऐसी शहर में मची है
अफवाह नहीं यह घटना सही है” ने इस संगोष्ठी को चार चांद लगा दिए
संगोष्ठी के मध्य में डॉक्टर विनीता आसित जैन की रचना
” इल्तजा तुझसे मिलने की ख्वाहिश लिए
तुझसे रूबरू होने चला आता हूं” परम शक्ति को समर्पित इस रचना ने ऑनलाइन हो रही काव्य गोष्ठी और पुस्तक परिचर्चा को पूर्ण रूप से जीवित कर दिया
अनीता सकलेचा के अनुसार वे इसाक न्यूटन की बायोग्राफी पढ़ रही है इस लॉक डाउन के खाली समय का पूर्ण और अद्भुत उपयोग करते हुए
लेखिका मंच की कई रचनाकारों ने कुछ ऐसी पुस्तकों पर परिचर्चा भी की जिनकी कल्पना उन्होंने कभी नहीं की थी कि वह इसे पढ़ पाएंगे लेकिन लोग डाउन के इस समय को पुस्तक के लिए समर्पित करते हुए अंजू अग्रवाल ने एपीजे अब्दुल कलाम की पुस्तक “माय जर्नी ट्रांसफॉर्मिंग ड्रीम्स इनटू एक्शन “के बारे में जब बताया तो सभी ने उस पुस्तक को एक बार पढ़ने की इच्छा व्यक्त की
पुस्तक परिचर्चा करते हुए नंदिता रवि चौहान ने बताया कि वे “गुलिवर्स ट्रेवल्स “पुस्तक दोबारा पढ़ रहे हैं “जोनथन स्वीफर द्वारा लिखी यह पुस्तक इतनी मजेदार है कि वे इस पुस्तक को दोबारा पढ़ने से अपने आप को रोक नहीं पाई
ऑनलाइन पुस्तक परिचर्चा में विनीता आशीष जैन की “कबीर वाणी” पढ़ने की इच्छा तथा
“कृष्णा सोबती का उपन्यास दिलो दानिश” बड़ी लंबी चर्चा में रहा कई रचनाकारों ने दिलो दानिश को भविष्य में अवश्य पढ़ने की इच्छा भी व्यक्त की
नंदिता रवि चौहान द्वारा पढ़ी गई पुस्तक “मुसाफ़िर कैफे” जोकि दिव्य प्रकाश दुबे द्वारा लिखित है पर भी अच्छी खासी चर्चा रही
नलिनी उपाध्याय द्वारा “मेरे नीलकमल” पर सुनाए जाने पर कई सारी तालियों के आभास भी रहे
नीतू सिंह की कविता
” शत्रु यह दृश्य है विनाश इसका
लक्ष्य है करना भूल
मत निकल मत
निकल
घर पर रह
ने सभी को लॉक डाउन के इस समय में घर पर रहकर पुस्तकों से रूबरू होने की एक अच्छी विनती भी की
परिचर्चा के अंत में मधु खंडेलवाल द्वारा पढ़ी जा रही पुस्तक “पावर आफ योर सबकॉन्शियस माइंड” डॉक्टर जोसेफ द्वारा लिखी गई व बेस्ट सेलर और इंट्रोडक्शन बुद्धिज्म पर भी चर्चा रही इसके अतिरिक्त अजमेर लेखिका मंच की अन्य रचनाकार ए अंबिका हेड़ा ध्वनि मिश्रा वे सभी ने इस तरह की परिचर्चा को एक बार पुनः करने की इच्छा भी जाहिर की
परिचर्चा को अंतिम रूप देते हुए छाया शर्मा ने अपना गीत प्रस्तुत किया डरना नहीं है हराना है कोरोना को ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया अंत में डॉक्टर अरुणा माथुर व कविता अग्रवाल जीने ने ने सभी का धन्यवाद भी किया

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