-सरकार ना रोजगार दे पा रही है, ना ही भत्ता, बेरोजगारों के सामने संकट की स्थिति
-भत्ते को तरसते बेरोजगारों के आंकड़े खोलते हैं सरकार के दावों की पोल
उन्होंने शुक्रवार को जारी बयान में कहा, सरकार का यह प्रावधान बेरोजगारों के हितों के विपरीत है कि एक साल में करीब डेढ़ लाख से अधिक बेरोजगारों को भत्ता नहीं दिया जा सकता है। इसके बावजूद सरकार यह दावा कर रही है कि उसने 23 महीने में ढाई लाख बेरोजगारों को 786 करोड़ रूपए का बेरोजगारी भत्ता बांटा है। यदि सरकार इसी तरह हर साल केवल डेढ़ लाख ही बेरोजगारों को भत्ता देती है, तो सभी बेरोजगारों को भत्ता मिलने में आठ-दस साल लग जाएंगे। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब बेरोजगार भत्ते से वंचित रहे हैं, तो फिर उन्हें भत्ता देने का मकसद क्या है। उन्होंने कहा, सरकार का यह निर्णय भी बेरोजगारों के हितों के विपरीत है कि भत्ता शुरू होने के बाद दो साल तक ही मिलेगा, जबकि जब तक संबंधित बेरोजगार को रोजगार नहीं मिल जाता, तब तक उसे भत्ता दिया जाना चाहिए। देवनानी ने कहा कि भत्ता पाने के इंतजार में बैठे बेरोजगारों की तरफ सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया है। राज्य में वर्तमान में करीब 15 लाख बेरोजगार हैं, जो कांग्रेस सरकार की रोजगार उपलब्ध कराने के झूठे वादों और प्रयासों की पोल खोलने के लिए काफी हैं।
ढाई साल में एक भी बड़ा उद्योग नहीं लगा
उन्होंने कहा कि जब तक बेरोजगारों हाथों को काम नहीं मिलेगा, तब तक राज्य के विकास की बात करना भी बेमानी है। पिछले ढाई साल में कांग्रेस सरकार पूरे प्रदेश में एक भी जगह बड़ा उद्योग स्थापित नहीं कर सकी है। सरकार ने इस ओर कभी प्रयास ही नहीं किए। यदि उद्योग स्थापित होते, तो ना केवल हजारों युवाओं को उनमें रोजगार मिलता, बल्कि उद्योगों से संबंधित अन्य काम-धंधे भी पनपते, जिससे सैकड़ों लोग भी रोजगार पाते। यही नहीं, कारोना महामारी के दौरान बंद हुए उद्योगों को फिर से शुरू कराने के लिए भी सरकार ने अभी तक कोई प्रयास नहीं किए हैं, जिससे रोजगार में लगे हुए लोग भी अब बेरोजगारी की पीड़ा झेल रहे हैं।
लंबे समय से अटकी हुई हैं भर्ती प्रक्रियाएं
उन्होंने कहा कि यही नहीं, सरकार ने विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से भर्ती प्रक्रियाओं को बहुत ज्यादा आगे नहीं बढ़ाया है। राजस्थान लोक सेवा आयोग, राजस्थान अधीनस्थ व मंत्रालयिक चयन बोर्ड सहित अन्य एजेंसियों के माध्यम से भर्तियां होनी हैं, किंतु सरकार से मंजूरी नहीं मिलने के कारण भर्तियां अटकी हुई हैं। कई भर्ती परीक्षाएं पहले हो चुकी हैं, लेकिन उनके परिणाम अभी तक नहीं निकलने के कारण बेरोजगारों को परेशान होना पड़ रहा है। यही कारण है कि आए दिन विभिन्न भर्तियों के सफल अभ्यर्थी राजस्थान लोक सेवा आयोग के बाहर धरना देते हैं और प्रदर्शन करते हैं।
एमडीएस विश्वविद्यालय का सारा ढर्रा बिगाड़ दिया है कार्यवाहक कुलपति थानवी ने-देवनानी
-नीतिगत निर्णय नहीं कर सकते कार्यवाहक कुलपति
-कांग्रेसी एजेंट के रूप में काम रहे हैं थानवी
-स्थाई कुलपति के लिए सरकार जल्द भेजे राज्यपाल को सिफारिश
अजमेर, 6 अगस्त। पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री व विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने आरोप लगाया है कि महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति ओम थानवी अपने पद की गरिमा के विपरीत कांग्रेसी एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं। थानवी ने विश्वविद्यालय का पूरा ढर्रा बिगाड़ दिया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का अस्तित्व बचाने और कामकाज को गति देने के लिए सरकार को स्थाई कुलपति नियुक्त करने के लिए जल्द से जल्द सिफारिश राज्यपाल व कुलाधिपति को भेजनी चाहिए।
शुक्रवार को जारी बयान में देवनानी ने कहा कि कार्यवाहक कुलपति केवल विश्वविद्यालय के नियमित कामकाज को कर सकते हैं, लेकिन कोई भी नीतिगत निर्णय नहीं ले सकते। इसके विपरीत उन्होंने मनगढ़ंत रिपोर्ट तैयार कराकर एकेडमिक कौंसिल की बैठक में योग प्रशिक्षक हटाए जाने का निर्णय पारित करा लिया। उन्होंने कहा कि कोई भी कुलपति अपनी राजनीतिक विचारधारा विश्वविद्यालय पर थोप नहीं सकते हैं। उन्होंने कहा कि जब योग विज्ञान को संचालित करने में विश्वविद्यालय को अलग से कोई राशि खर्च नहीं करनी पड़ती है, तो इसे संचालित करने में कुलपति को आपत्ति होना समझ से परे है। यह बात जुदा है कि कुलाधिपति व राज्यपाल ने थानवी के निर्णय पर रोक लगा दी, वरना वे इसी तरह कितने ही विभागों को बंद कर विश्वविद्यालय का मटियामेट कर देते।
कामकाज में झलकती है मानसिकता
उन्होंने कहा कि कुलपति को अपने पद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक विचारधारा से दूर रहते हुए निष्पक्ष तरीके से कार्य करना चाहिए, लेकिन जिस तरह थानवी अपनी मनमर्जी थोप रहे हैं, उससे उनकी मानसिकता साफ जाहिर हो जाती है। इसी मानसिकता के चलते थानवी ने पूरे विश्वविद्यालय का ढर्रा बिगाड़ दिया है। जब भी अजमेर आते हैं, तो नियमित कामकाज वाली फाइलों को भी आगे नहीं बढ़ाते हैं। इससे विश्वविद्यालय का कामकाज प्रभावित हो रहा है।
गाहे-बगाहे आते हैं अजमेर
देवनानी ने कहा कि थानवी गाहे-बगाहे अजमेर आते हैं और खानापूर्ति कर चले जाते हैं। उनका विश्वविद्यालय की परीक्षाएं समय पर कराने की ओर कोई ध्यान नहीं है। जब भी आते हैं, तो ना वे शैक्षिक विषयों पर चर्चा करते हैं और ना ही नए विषय शुरू करने पर। विश्वविद्यालय में लंबे समय से शिक्षकों की कमी बनी हुई है, लेकिन उन्होंने इस कमी को दूर करने के लिए अभी तक कोई प्रयास नहीं किए।
स्थाई कुलपति की नियुक्ति हो
देवनानी ने कहा कि विश्वविद्यालय कार्यवाहक कुलपति के भरोसे प्रगति नहीं कर सकता है, इसलिए सरकार को जल्द से जल्द स्थाई कुलपति नियुक्त करने के लिए कुलाधिपति व राज्यपाल से सिफारिश करनी चाहिए।
खेल रत्न अवार्ड मेजर ध्यान चंद के नाम से देने का निर्णय सराहनीय
अजमेर, 6 अगस्त। पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री व विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खेल रत्न अवार्ड हाॅकी के सम्राट व जादूगर मेजर ध्यान चंद के नाम से दिए जाने का निर्णय कर लाखों खिलाड़ियों की भावनाओं का सम्मान किया है।
उन्होंने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि इससे ना केवल खिलाड़ियों को खुशी काफी मिली है, बल्कि वर्तमान व भावी खेल प्रतिभाओं को भी सम्मान पाने में गर्व महसूस होगा और नई प्रतिभाएं उभर कर सामने आएंगी। इससे विभिन्न खेलों में भी भारत का गौरव बढ़ेगा। उल्लेखनीय है कि पहले यह सम्मान पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम से दिया जाता था।