देवनानी ने जारी बयान में कहा कि जिस तरह से अलवर के विधायकों ने टीकाराम जूली को कैबिनेट मंत्री बनाने का विरोध किया और रविवार को राजभवन में हुए शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार किया, उससे यही जाहिर होता है कि कांग्रेस के सत्ता और संगठन में अंतर्कलह बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार मंत्री बनाई गई जाहिदा खान के पति दुष्कर्म के आरोपी हैं। ऐसे में कांग्रेस सरकार से महिलाओं की अस्मिता की रक्षा के लिए क्या अपेक्षा की जा सकती है।
देवनानी ने कहा कि भले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट हाईकमान के दबाव में सत्ता और संगठन में गुटबाजी नहीं होने के दावे करते हैं, लेकिन कैबिनेट मंत्री बनाए गए हेमाराम चौधरी का यह कथन कांग्रेस की अंतर्कलह और गुटबाजी को दर्शाता है कि उनके नेता सचिन पायलट ही हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस में सत्ता और संगठन की गुटबाजी व अंतर्कलह खत्म नहीं हुई है और ना ही होगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री केवल तुष्टिकरण, रेवड़ियां बांटने और प्रलोभन की नीति अपनाकर अपनी सरकार बचाए रखना चाहते हैं।
देवनानी ने कहा कि सरकार में सात सलाहकार और 15 संसदीय सचिव बनाना रेवड़ियां बांटने का ही स्पष्ट उदाहरण है। उन्हें अभी तक यह बात समझ में नहीं आ रही है कि यह सात सलाहकार किसलिए बनाए गए हैं और उनकी सरकार में क्या भूमिका होगी। इन सलाहकारों को मंत्री का दर्जा देकर सरकार पर आर्थिक बोझ डाला जा रहा है। इतना करने के बावजूद कांग्रेस में अंतर्कलह थम नहीं पाएगी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सारे प्रयास महज ’’ढाक के तीन पात’’ साबित होंगे।
उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार के बाद भी प्रदेश के करीब 13 जिलों को सरकार में प्रतिनिधित्व से वंचित रखा गया है। संतुलन का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा गया है। ऐसे में जिन जिलों को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है, वहां जनता में असंतोष पैदा होगा।