महान सामाजिक सुधारक परम पूज्य नानक देवजी पार्ट 4

dr. j k garg
नानक देव के अनुसार धन को जेब तक ही रखें उसे हृदय में जगह न दें। जब धन को ह्रदय में जगह दी जाती है तो सुख शांति के स्थान पर लालच, भेदभाव और बुराइयों का जन्म होता है। धन के भंडार से परिपूर्ण प्रभुत्व वाले सम्राटों की तुलना में वो चींटी महान है जिसके मन में ईश्वर का निवास है। यदि लोग अपने धन का प्रयोग सिर्फ अपने लिए और खजाना भरने के लिए करते हैं तो वह शव की तरह है, लेकिन यदि वे इसे दूसरों के साथ इसे बांटने का निर्णय लेते हैं तो वह प्रभुजी पवित्र प्रसाद बन जाता है। जो व्यक्ति किसी का हक़ छीनता है उसे कही भी सम्मान नहीं मिलता। इसलिए कभी किसी का हक़ नहीं छीनना चाहियें। जिन्होंने प्रेम किया है वो ही लोग परमात्मा को पा सकते है। नानक देव जी के अनुसार एक ओंकार यानी ईश्वर एक है

error: Content is protected !!