dr. j k gargहोली को मनाने के तरीके अनेक फिर भी सन्देश सिर्फ भाईचारे,प्रेम परस्पर विश्वास एवं सौहार्द का पार्ट 3 छत्तीसगढ़ की होरी में लोक गीतों कीअद्भुत परंपरा है | बस्तर में इस दिन लोग कामदेव का बुत सजाते हैं,जिससे कामुनी पेडम कहा जाता है। उसबुत के साथ एक कन्या का विवाह किया जाता है। इसके उपरांत कन्या की चूड़ियां तोड़कर,सिंदूर पोंछकर विधवा का रूप दियाजाता है। बाद में एक चिता जलाकर उसमें खोपरे भुनकर प्रसाद बांटा जाता है।मध्यप्रदेश में भील होली को भगोरिया कहते हैं। इस दिन युवक मांदल की थाप पर नृत्यकरते हैं। नृत्य करते हुये वो लडकी के मुहं पर गुलाल लगाता है यदि लडकी भी लडके केमुहं पर वापस गुलाल लगा देती है तो इसका मतलब होता है कि वो विवाह के लिये राजी है| राजस्थान में होली के विभिन्न रूपदेखने को मिलते हैं। बाड़मेर में पत्थर मार होली खेली जाती है तो अजमेर में कोड़ाहोली। सलंबर कस्बे में आदिवासी गेर खेलकर होली मनाते हैं। इस दिन यहां के युवक हाथमें एक बांस जिस पर घुंघरू और रूमाल बंधा होता है,जिसे गेली कहा जाता है लेकर नृत्य करते हैं। इस दिन युवतियां फागके गीत गाती हैं।