dr. j k gargनवरात्रि के चौथे दिन लोग दुर्गा माँ के कूष्माण्डास्वरूप की पूजा करते है। इनकी पूजा करने से हम उन्नति की राह पर चलते है और इनकाआशीर्वाद हमारे सोचने समझने की शक्ति को बेहतर तरीके से विकसित करता है।“देवीकूष्मांडा” भी हम सभी को संसार में माता -बहनों के अस्तित्व काबोध कराती है इसीलिये देवी कूष्मांडा को नारी सम्मान तथा सृष्टि रचना में उन्हेंअक्षुण्ण बनाये रखने वाली देवी के रूप में जाना जाता है | नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता माता की पूजाकी जाती है। उनको कार्तिकेय माता भी कहा गया है। इनके पूजा करने से भक्तों केअंदरूनी व्यवहारिक ज्ञान को विकसित करने के लिए उनका आशीर्वाद मिलता है। नवरात्रि के छठे दिन देवी दुर्गा के कात्यायनीस्वरूप की पूजा की जाती है। माँ कात्यायनी की आराधना करने से मनुष्य के अंदर केनकारात्मक विचार दूर हो जाते है। माँ के दिए हुए आशीर्वाद से हम सही मार्ग पर चलसकते है। नवरात्रि के सातवें दिन पर देवी दुर्गा के कालरात्रि के स्वरूप की पूजाकरते है। देवी कालरात्रि की पूजा करने से लोगो को अपने जीवन में यश, सम्मानऔर कीर्ति प्राप्त होता है। नवरात्रिके आठवें दिन देवी दुर्गा के महागौरी के स्वरूप की आराधना की जाती है। माँ महागौरीको सफेद रंग की देवी के रूप में पूजा जाता है। इनकी आराधना करने से मनुष्य की सारीमन की इच्छा पूरी हो जाती है। शांति का संदेश वाहक सफेद रंग से सुशोभित माता “महागोरीसभी सिद्धियों को संतुष्ट करने वाली हैं |नवरात्रि के नौवे दिन देवी दुर्गा के सिद्धिदात्रीस्वरूप की आराधना लोगों द्वारा की जाती है। इनकी पूजा करने से हमें ताकत मिलती हैकि हम मुश्किल कार्य को सफलतापूर्वक कर सके। उन अधूरे कार्य को सफलतापूर्वक पूराकरे।