दाम्पत्य जीवन की पवित्रता का पर्व करवा चौथ part 1

j k garg
सनातन धर्मी महिलाएं कार्तिक कृष्णा दाम्पत्य जीवन की पवित्रता का पर्व करवा चौथ का पर्व अपने जीवन साथी के दीर्घायु स्वस्थ और खुशहाल रहने के लिये व्रत रखकर शाम को चन्द्रमा के दर्शन कर उनको अर्क दे कर छलनी से अपने प्राण प्रिय पति को देख कर अपने पति के हाथों से जल पीकर अपना व्रत खोलती है | करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह भारत के जम्मू हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मनाया जाने वाला पर्व है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह पर्व सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ मनाती हैं। यह व्रत सवेरे सूर्योदय से पहले लगभग 4 बजे से आरंभ होकर रात में चंद्रमा दर्शन के उपरांत संपूर्ण होता है। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। संस्कृत में इसको करक चतुर्थी तेलुगु में अटल तद्दी कहा जाता हे |

यह व्रत 12 वर्ष तक अथवा 16 वर्ष तक लगातार प्रति वर्ष किया जाता है। अवधि पूरी होने के पश्चात इस व्रत का उद्यापन (उपसंहार) किया जाता है। किन्तु जो सुहागिन स्त्रियां आजीवन रखना चाहें वे जीवन भर इस व्रत को कर सकती हैं। इस व्रत के समान सौभाग्यदायक व्रत अन्य कोई दूसरा नहीं है।

भारत देश में वैसे तो चौथ माता जी के कई मंदिर स्थित है, लेकिन सबसे प्राचीन एवं सबसे अधिक ख्याति प्राप्त मंदिर राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा गाँव में स्थित है। चौथ माता के नाम पर इस गाँव का नाम बरवाड़ा से चौथ का बरवाड़ा पड़ गया।

चौथ माता मंदिर की स्थापना महाराजा भीम सिंह चौहान ने की थी।

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