
शून्य यानि जिसमें संसार का सार तत्व अदृश्य रूप से निहित है। यही अव्यक्त brahmn है। मन, प्राण,जीवात्मा अदृश्य है। शक्कर का मीठास,नमक का खार,पानी की तरलता भी अदृश्य है फिर भभी है। गणित में इसका जो मतलब है वह अध्यात्म और क्वांतम भौतिकी में नहीं है। शून्य का मतलब खालीपन नहीं है। आकाश के बाद अवकाश यानि शून्य है। पदार्थ की छठी अवस्था शून्य है (अभी तक तो)। प्रकृति की अपरा अवस्था शून्य है। ब्रह्म शून्य है। समय की सूक्ष्मतम इकाई शून्य है। शरीर की भी अंतिम अवस्था शून्य है। अब यह बात विस्तार से देखते हैं।
1. पदार्थ – पत्थर, कण, अणु, परमाणु, इलेक्ट्रॉन, प्रोटोन, न्यूट्रॉन, हिग्स, बोसॉन, लेप्टान और क्वार्क। क्वार्क अदृश्य कण होता है यानि शून्य।
2. ठोस, द्रव, गैस, प्लाज्मा (लिक्विड ठोस), माइनस 270 डिग्री तापमान की अवस्था वाले कण। यहां कंपन करते रहने वाले परमाणु अक्रिय होकर आपस में चिपक जाते हैं। इसके बाद चार सौ डिग्री सेल्सियस ताप पर गैस के परमाणु टूट कर बिखर जाते हैं तब रह जाता है शून्य। जब तक पदार्थ की सातवीं अवस्था को मान्यता नहीं मिलती है तब तक तो यही सत्य है।
3. हमारी पृथ्वी, सौर मण्डल, अरबों आकाशगंगाएँ, निहारिकाएं, ब्लैक होल, डार्क एनर्जी, डार्क मैटर, दो सौ सत्रह ट्रिलियन प्रकाश वर्ष जितना बड़ा ब्रह्माण्ड, फिर बिग बैंग वाला महा परमाणु। इसके बाद शून्य।
4. शरीर, प्राण, मन, बुद्धि, जीवात्मा, विश्वात्मा ब्रहा (शून्य)।
5. अण्डाणु, शुक्राणु, उनमें गुणसूत्र, गुणसूत्र में वंशाणु, वंशाणु बनाने वाले रासायनिक तत्व और अंत में शून्य। जन्म, पुनर्जन्म, देह मुक्ति, जीव मुक्ति, सारे कर्माणुओं यानि संस्कारों की समाप्ति और शून्य।
6. भू लोक, भुव लोक, स्वर्ग लोक, मह, जन, तप, सत्य लोक, वैकुंठ लोक, गोलोक और उसके आगे शून्य।
7. समय या काल – नारद भक्तिसूत्र के अनुसार एक सेकंड की एक अरबवीं इकाई को केवल ब्रह्म जानता है। यानि यह शून्य समय।
8. आकाश, अंतरिक्ष, महाकाश और शून्य।
9. हमारे चारों तरफ परमाणु,जीवाणु,विषाणु,नैनो कण,विद्युत चुम्बकीय तरंगें आदि अदृश्य ही हैं फिर भी इन सब का अस्तित्व है।
इस तरह सारे अस्तित्व का उद्गम शून्य है और महाप्रलय भी शून्य है।