विदिशा ।अन्न परोसन, पूरक आहार, कॉम्प्लीमेंट्री फीडिंग दिवस पर शिशु विभाग मेडिकल कॉलेज सभागार में मरीज और उनके परिजनों , जूनियर डॉक्टरों एवं आइएपी सदस्यों के लिए आयोजित संगोष्ठी में डॉ एम के जैन ने बताया कि पूरक आहार, मतलब बच्चों को उनके समुचित शारीरिक ,मानसिक और बौद्धिक विकास तथा उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए खाने से दोस्ती कराने का ही नाम है।हमारे देश में 6 माह से बड़े समस्त बच्चों को सही समय पर, सही मात्रा में शुद्ध, सुरक्षित, सक्रिय भोजन घर में उपलव्ध खाद्य पदार्थों से बनाया हुआ प्रारंभ करना चाहिए । शुरू दो चार चम्मच तथा उसके बाद धीरे मात्रा बढ़ाना चाहिए । 6 माह की उम्र पर 80% माँ का दूध और 20% पूरक आहार से प्रारंभ करके एक वर्ष की उम पर 80% आहार तथा 20% माँ का दूध तथा 2 साल की उम्र पर 90% भोजन तथा 10% माँ का दूध दिया जाना चाहिए ।
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ मनीष निगम ने बताया कि विदिशा जिले में कुपोषित बच्चे बहुत है ।मेरा आई ए पी संस्था के सदस्यों और मेडिकल कॉलेज के शिशु विभाग के चिकित्सा अधिकारियों और जूनियर डॉक्टरों से अनुरोध है कि कुछ ऐसा करें कि बच्चों कुपोषण से मुक्त हो सके । मेडिकल कॉलेज अधीक्षक डॉ अविनाश लगावे ने बताया कि कुपोषित बच्चों के हित में आप लोगो के प्रयास सराहनीय हैं । विदिशा जिले के कुपोषित बच्चों के लिए हम सभी तथा स्वयं सेवी संस्थाओं के सौजन्य से कुपोषित बच्चों के लिए परिणाम मूलक पायलट प्रोजेक्ट मेडिकल कॉलेज के शिशु वार्ड में प्रारंभ करना चाहते है ।
मेडिकल कॉलेज शिशु विभाग की प्रमुख एवं प्रदेश की पूर्व आइएपी डॉ नीति अग्रवाल ने बताया कि पूरक आहार में बच्चों को दाल , चावल , खिचड़ी , दलिया , खीर , सब्जियां और फलों की पियुरी आदि दी जा सकती है । शुरू करने के लिए एक भोजन की थोड़ी मात्रा से प्रारंभ कर 3-4 दिन तक उसी को देते रहना उसके पश्चात ही दूसरा भोजन देना चाहिए और धीरे धीरे भोजन की अन्य चीजें खिलाना चाहिए । शुरू करने के लिए भोजन थोड़ा गाडा और अर्धठोस भोजन ही देना चाहिए । भोजन बहुत पतला नहीं होना चाहिए ।
आई ए पी सचिव एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ सुरेंद्र सोनकर ने बताया कि पूरक आहार में घर के बने भोजन को ही प्राथमिकता देना चाहिए। बाजार के रेडीमेड खाद्य पदार्थ जैसे सेरेलैक , नेस्ट्यूम ,फेरेक्स , बिस्कुट , चिप्स, कुरकुरे , भुजिया आदि नहीं देना चाहिए।यह फायदा नहीं करते है । आईएपी सदस्य एवं शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ प्रियशा त्रिपाठी ने बताया कि बॉटल से पोषक आहार अथवा दूध कभी नहीं पिलाना चाहिए वह हानिकारक होता हैबार बार बीमार होते। आइएपी सदस्य एवं शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ हेमंत यादव ने बताया कि पूरक आहार में बच्चों को नमक की भी आवश्यकता होती है जो कि सामान्य से लगभग चौथाई अनुपात में खिलाया जाना चाहिए ,प्राकृतिक रूप से मीठे भोज्य पदार्थ में उपलब्ध शक्कर ही पर्याप्त होती है, ऊपर से शक्कर की आवश्यकता नहीं होती ।
संगोष्ठी में एमबीबीएस स्टूडेंटस के द्वारा सास ,बहु और बच्चे तथा शिशु रोग विशेषज्ञ बन कर लघु नाटिका के रूप में पूरक आहार विषयक समस्त शंकाओं का समाधान बच्चों के परिजनों की जागरूकता हेतु किया गया । साथ ही बच्चों को पूरक आहार प्रारंभ करने के सही तरीके और सही भोजन के महत्व विषयक वीडियो भी प्रदर्शित किए गए ।आईएपी विदिशा के अध्यक्ष डॉ एम के जैन द्वारा स्थानीय रेडियोमन रेडियो के माध्यम पूरक आहार विषयक वार्ता से पूरे जिले के श्रोताओं को जागरूकता हेतु प्रसारण किया गया ।