क्या गायब हुआ जा सकता है?

गायब या अंतर्ध्यान शब्द के मायने है, अदृश्य होना। इसका उल्लेख आपने शास्त्रों, पुराणों आदि में सुना होगा। अनेक देवी-देवताओं, महामानवों व ऋषि-मुनियों से जुड़े प्रसंगों में इसका विवरण है कि वे आह्वान करने पर प्रकट भी होते हैं, साक्षात दिखाई देते हैं और अंतर्ध्यान भी हो जाते हैं। मौजूदा वैज्ञानिक युग में यह वाकई अविश्वनीय है। विज्ञान आज तक भी इस पुरातन कला को समझ नहीं पाया है। हालांकि कुछ वैज्ञानिकों ने इस पर काम किया है और सिद्धांततः यह मानते हैं कि ऐसा संभव है, मगर कोई भी ऐसा कर नहीं पाया है। बताते हैं कि ओशो ने दुनिया के चंद शीर्ष वैज्ञानिकों की टीम बना कर इस पर काम किया था और उन्हें पूरी उम्मीद थी कि कामयाबी मिल जाएगी।
इस बारे में उपलब्ध जानकारी के अनुसार वैज्ञानिक नैनो किरणों पर काम कर रहे हैं। इस सिलसिले में एक लबादा बनाने की कोशिश की जा रही है, जिसे पहनने के बाद उस पर नैनो किरणें डालने पर दिखाई देना बंद हो जाता है। कुछ वैज्ञानिक इस पर भी काम कर रहे हैं कि विशेष तापमान व दबाव यदि मनुष्य के आसपास क्रियेट किया जाए तो वह अदृश्य हो सकता है। कुछ प्रयोग कनाडा, जापान और अमेरिका में चल रहे हैं। जापान के वैज्ञानिक डॉ. सुसुमु ताची ने ऐसा “इनविजिबिलिटी क्लोक” बनाया था, जो कैमरा और प्रोजेक्टर से पीछे की पृष्ठभूमि को आगे दिखा देता है। यानी पहनने वाला लगभग गायब सा दिखाई देता है। यह तकनीक कुछ सैन्य वाहनों और ड्रोन में प्रयोग की जा रही है। यह परिवेश के रंग और प्रकाश को नकल कर आंखों को भ्रमित करती है।
जानकारी के अनुसार एक उपकरण बनाया जा चुका है, जिसके भीतर रखी वस्तु एक दिशा से तो दिखाई देती है, मगर दूसरी दिशा से नहीं दिखाई देती। एक उपकरण, जिसका नाम फोटोनिक क्रिस्टल बताया गया है, वह वस्तुओं को दिखाई देने में बाधक बनता है, अर्थात अदृश्य कर देता है। प्रसंगवश एक शब्द ख्याल में आता है- मृग मरीचिका। कहते हैं न कि रेगिस्तान में तेज धूप में किरणों की तरंगों में दूर से हिरण को ऐसा आभास होता है कि वहां समुद्र है या पानी है, जबकि वास्तव में ऐसा होता नहीं है। अर्थात हिरण को दृष्टि भ्रम होता है। हो सकता है कि कल इसी प्रकार का दृष्टि भ्रम बना कर आदमी को अदृश्य किया जा सके।
एक जानकारी ये भी है कि देवी देवता सशरीर प्रकट हो सकते हैं, जो कि पंचमहाभूत से बने हैं, मगर अन्य आत्माएं वायु अथवा प्रकाश के रूप में विचरण करती हैं और उसका आभास भी करवा सकती हैं। भारतीय ग्रंथों में कई पात्रों के अदृश्य होने का उल्लेख मिलता है। जैसे हनुमानजी, जो इच्छा से आकार बदल सकते थे (सूक्ष्म रूप धारण करना)।
बताते हैं कि हिमालयों की पहाडियों में एक जड़ी पाई जाती है, जिसे मुंह में रखने पर आदमी दिखाई देना बंद हो जाता है। मगर इसके भी प्रमाणिक उदाहरण हमारे संज्ञान में नहीं हैं। इसी प्रकार जनश्रुति है कि एक पक्षी विशेष का पंख अपने पास रखने वाला व्यक्ति दूसरों को दिखाई नहीं देता, मगर इसके भी पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं।
गायब हो जाने के संबंध में कुछ रहस्यमयी किस्से जानकारी में आए हैं। बताते हैं कि एक महिला क्रिस्टीन जांसटन और उनके पति एलन जांसटन 1975 की गर्मियों में उत्तरी ध्रुव की यात्रा पर गए थे। वहां एलन अचानक गायब हो गए। बाद में पुलिस तेज घ्रांण शक्ति वाले कुत्ते ले कर खोजने गई तो जिस स्थान से एलन गायब हुए थे, वहां पर आ कर कुत्ते रुक गए।
एक किस्सा ये भी है। अमेरिका के टेनेसी स्थित गैलेटिन के निवासी डेविड लांग 23 सितम्बर, 1808 को दोपहर में घर से बाहर निकले। उनकी मुलाकात उनके एक न्यायाधीश मित्र आगस्टस पीक से हुई। शिष्टाचार के बाद जैसे ही डेविड लांग आगे बढ़ा तो वह अचानक गायब हो गया।
इसी प्रकार पूरी बस्ती ही गायब होने का भी किस्सा है। घटना अगस्त 1930 की बताई जाती है। कनाडा के चर्चिल थाने के पास अंजिकुनी नामक एस्किमो की बस्ती थी। एक दिन अचानक पूरी बस्ती के लोग न जाने कहां गायब हो गए।
इसी प्रकार 1885 में वियतनाम में सैनिकों की छह सौ सैनिकों की एक टुकड़ी ने सेगॉन शहर की ओर कूच किया। कोई एक मील दूर जाने पर वह पूरी टुकड़ी गायब हो गई। आज तक उस रहस्य से पर्दा नहीं उठ पाया है। अनुमान यही लगाया गया कि धरती से इतर कोई और ग्रह है, जहां के प्राणी लोगों को पकड़ कर ले जाते हैं।
वस्तुओं के गायब हो जाने के किस्से भी आम हैं। आप के साथ भी ऐसा हो चुका होगा। जैसे किसी स्थान विशेष पर रखी वस्तु आप लेने जाते हैं तो वह वहां नहीं मिलती। आपको अचरज होता है कि वह कहां गायब हो गई। कुछ समय बाद जब फिर देखते हैं तो वह वहीं मिल जाती है। ऐसा प्रतीत होता है कि वह कुछ समय के लिए गायब हो जाती है। ऐसा भ्रम की वजह से भी हो सकता है।
आपने ऐसे मदारियों को भी करतब दिखाते हुए देखा होगा कि वे गुलाब जामुन या कोई मिठाई मांगने पर हवा में हाथ धुमा कर वह वस्तु पेश कर देते हैं। हालांकि यह ऐसे जादू के रूप में माना जाता है, जिसके पीछे कोई तकनीक काम करती है, जबकि आम मान्यता है कि मदारी कुछ समय के लिए मांगी गई वस्तु किसी दुकान या ठेले से मंगवाते हैं और कुछ समय बाद वह वस्तु वापस वहीं पहुंच जाती है, जहां से मंगाई गई है।

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