सरकार को ही नहीं पता कैसे सिंगापुर पहुंची दिल्ली गैंगरेप पीड़िता

rape1 2013-3-14नई दिल्ली। सारे देश को दहला देने वाली वसंत विहार गैंगरेप की घटना में पीड़िता को उपचार के लिए सिंगापुर ले जाने का फैसला न तो अस्पताल प्रशासन का था और न ही सरकार का! इतना ही नहीं, पीड़िता को अपना लीवर दान करने की पेशकश करने वाले और इलाज पर आने वाले खर्च से भी सरकार बेखबर है। यह कोई कही-सुनी बात नहीं, बल्कि ठोस हकीकत है।

इस सच से पर्दा उठाया है खुद स्वास्थ्य मंत्रालय ने। सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत मांगी गई जानकारी में मंत्रालय ने माना कि पीड़िता को सिंगापुर ले जाने के आदेश और उसके इलाज पर कितना खर्च आया, इसकी जानकारी उसके पास नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कौन शख्स है, जो बिना स्वास्थ्य मंत्रालय की सहमति के इतना बड़ा कदम उठा सकता है। रेप पीड़िता के मामले पर सीधे हस्तक्षेप प्रधानमंत्री कार्यालय का था तो पीड़िता की मौत के बाद हकीकत जानने के लिए आरटीआइ कार्यकर्ता देव आशीष भट्टाचार्य ने 9 जनवरी को आरटीआइ लगा यह जानकारी मांगी।

जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय के मुख्य सूचना अधिकारी एसई रिजवी ने देव आशीष को पत्र भेज बताया कि मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने के लिए गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र प्रेषित कर दिया गया है। 6 फरवरी को गृह मंत्रालय के मुख्य सूचना अधिकारी एस. सुधा ने आवेदक को बताया कि उक्त मांगी गई जानकारी को लेकर मंत्रालय के पास बताने को कुछ नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय से प्रेषित आवेदक की आरटीआइ के संबंध में 16 जनवरी को जवाब भेजा कि गैंगरेप पीड़िता के इलाज से संबंधित स्वास्थ्य मंत्रालय के पास कोई दस्तावेज, सूचना नहीं है। किस डॉक्टर की सलाह पर पीड़िता को सिंगापुर ले जाया गया था, इसके जवाब में मंत्रालय के अवर सचिव बीएल मीणा ने बताया कि यह जानकारी उपलब्ध कराने के लिए आवेदन सफदरजंग अस्पताल भेज दिया गया है, फिलहाल मंत्रालय के पास इस संबंध में कोई सूचना नहीं है। इतने गंभीर विषय के बावजूद पूछे गए सवाल पर मंत्रालय का रुख देख आवेदक देव आशीष भट्टाचार्य कहते हैं कि सरकार ने सिर्फ सुर्खियां बटोरने के लिए रेप पीड़िता को सिंगापुर भेजा था। यह चर्चा जिस तरह आम लोग पहले भी कर रहे थे वह अब सरकार से मिली जानकारी के बाद सही साबित हो गई।

सफदरजंग अस्पताल में करीब 10 दिन तक भर्ती रहने के बाद रेप पीड़ित फिजियोथेरेपिस्ट युवती को बेहतर इलाज के लिए 26 दिसंबर की देर रात आइजीआइ एयरपोर्ट से सिंगापुर भेज दिया गया था। उसके लिए एक चार्टर्ड विमान को विशेष रूप से तैयार किया गया था।

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