जयपुर। महिला एवं बाल विकास मंत्री बीना काक ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से हाल ही घोषित बालिका नीति से लिंगानुपात बढाने में मदद मिलेगी। राज्य सरकार की ओर से बेटियों के जन्म को प्रोत्साहन देने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। इसके अलावा महिला सशक्तीकरण की योजनाएं चलाई जा रही हैं। इनके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। काक शुक्रवार को अजित फाउंडेशन की ओर से यूएनएफपीए एवं यूनिसेफ के सहयोग से राज्य की बालिका नीति पर यहां होटल क्लार्क्स आमेर में आयोजित परामर्श कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थी। इस कार्यक्रम में बालिका नीति के क्रियान्वयन में सिविल सोसायटी संस्थाओं की सहभागिता पर विचार किया गया और इस महत्वपूर्ण नीति के नियमन एवं क्रियान्वयन में उनके सहयोग की संभावनाओं को तलाशा गया।
काक ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से संस्थागत प्रसव को बढावा दिया गया है। जननी शिशु सुरक्षा योजना, कलेवा योजना प्रसूताओं एवं बाल मत्यु दर में कमी आने के संकेत मिल रहे हैं। इन योजनाओं से गरीब परिवारों पर प्रसव का बोझ और प्रसव के दौरान होने वाले खतरे कम हुए हैं।
उन्होंने कहा कि वे पोषाहार को विकेन्द्रीकत करने के प्रयास में जुटी हैं लेकिन इसमें पोषाहार लॉबी आडे आ रही है। इससे डिवीजन स्तर पर इकीइयां नहीं बन पा रही हैं। उन्होंने इस मौके पर कार्यक्रम में मौजूद विभाग के प्रमुख सचिव पीएस मेहरा से कहा कि मैं इस काम को चार साल में पूरा नहीं कर सकी हूं, आप इसे चार महीने में पूरा कर दे ंतो लोगों को इसका लाभ मिलेगा। उन्होंने मुख्यमंत्री की ओर से आंगनबाडी के बच्चों को दी जाने वाली यूनिफार्म के मामले में आ रही परेशानियां बताते हुए कहा कि सरकार चाहती है कि बालक व बालिकाओं की यूनिफार्म कुर्ता-पायजामा हो, लेकिन वित्त विभाग इसे यूनिफार्म मानने को तैयार नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस समस्या का हल जल्दी ही निकाल लिया जाएगा।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष लाड कुमारी जैन ने बढते महिला अत्याचारों एवं घटते लिंगानुपात पर चिंता जताते हुए कहा कि हमें प्रत्येक बेटी के जन्म का स्वागत करना होगा, बालिकाओं व महिलाओं को सम्मान देना होगा तथा प्रत्येक महिला के कार्य को आर्थिक रूप से स्थापित करना होगा। उन्होंने कहा कि सामाजिक कुरीतियां एवं लोगों की दकयानूसी सोच तथा पुरूष प्रधान समाज की महत्ता के कारण महिला एवं बालिकाओं से संबंधित अपराध बढे हैं और लिंगानुपात घटा है। समाज को जागरूक कर लोगों की इस सोच को बदलने की जरूरत है। जैन ने बताया कि इस समय एक हजार बालिकाओं पर 187 बालिकाएं गायब हैं। अगर यही स्थिति रही तो 2021 में देश में बालिकाओं के गायब होने का आंकडा भयावह होगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं के प्रति भेदभाव खत्म करना होगा और हमारी मानसिकता के कारण हो रहे बेटियों के विनाश को रोकना होगा। जैन ने पिछले दिनों सामने आए आवाज फाडंडेशन सहित तीन संस्थाओं के मामलों पर चिंता जताते हुए कहा कि हमें इस तरह की घटनाएं रोकनी होंगी।
राज्य आयोजना बोर्ड के उपाध्यक्ष एवं अजित फाउंडेशन के चेयरमैन प्रो वी एस व्यास ने कहा कि सकारात्मक सोच की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार का शीर्ष नेतत्व प्रगतिशील कदमों के साथ पहल कर रहा है। व्यास ने कहा कि एनजीओ सकारात्मक सोच के साथ एडवोकेसी का काम भी करें और कंस्टक्टिव रोल अदा करें, इससे हौंसला अफजाई होती है। उन्होंने कहा कि इस पर मंथन करने की जरूरत है कि हम किस तरह से जनचेतना पैदा करें ताकि नीति पर अमल हो। नीति के क्रियान्वयन में समाज के सभी वर्गों व संगठनों की भागीदारी हो। व्यास ने कहा कि हमें रचनात्मक सोच के साथ बालिका नीति को सफल बनाना होगा।
यूनिसेफ के राज्य प्रमुख सैमुअल मोगनान्डीज ने कहा आज हमारे सामने बहुत चुनौतियां हैं। हमें बालिका नीति के जरिए यह तय करना होगा कि हमें किस दिशा में जाना है। उन्होंने समाज में साक्ष्य आधारित ज्ञान को बढावा देने की जरूरत बताते हुए कहा कि इस नीति के क्रियान्वयन में सभी का सहयोग लेना होगा और इसकी लगातार मॉनिटरिंग करनी होगी। सैमुअल ने राज्य सरकार की निशुल्क दवा, जांच एवं जननी शिशु सुरक्षा योजना के तहत प्रसूताओं व नवजात को मुहैया कराई जाने वाली सुविधाओं की तारीफ की। उन्होंने कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए गर्भवती महिलाओं की गर्भ धारण के बाद से ही आवश्यक देखभाल एवं उन्हें दवाएं व पोषण देने पर जोर देते हुए कहा कि इससे मात एवं शिशु मृत्यु दर में भी कमी आएगी।
यूएनएफपीए के राज्य समन्वयक सुनील थॉमस ने महिला एवं बाल विकास विभाग की तारीफ करते हुए कहा कि इस नीति को बनाने में सिविल सोसायटी का बहुत बडा रोल रहा है और इसके क्रियान्वयन में भी वैसी ही भूमिका निभानी होगी। थॉमस ने कहा कि इससे चाइल्ड सेक्स रेशो पर असर पडेगा। उन्होंने महिलाओं के सर्वांगीण विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता बताते हुए कहा कि राज्य में चल रही सबला योजना से बालिका सशक्तीकरण में मदद मिली है।
अजित फाउंडेशन की ज्योत्सना राजवंशी ने उदघाटन सत्र में आगंतुकों का आभार जताते हुए नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकडों के बारे में बताया कि देश में दस साल तक की विवाहिताएं सबसे ज्यादा आत्महत्या कर रही हैं, यह चिंता का विषय है। उन्होंनेे बालिका नीति के बारे में भी बताया।
-कल्याणसिंह कोठारी
मोबाइल 94140 47744
