अजमेर। महाराजा दाहरसेन को पुष्पांजली देने के लिये उनके 1301वें बलिदान दिवस समारोह रविवार, 16 जून 2013 को शाम 6 बजे सिन्धुपति महाराजा द्ाहरसेन स्मारक पर आयोजित होगा।
समारोह में भारत विभाजन के पश्चात सिन्धु संस्कृति, साहित्य, सभ्यता, भाषा एवं परम्परा के सरंक्षण एवं संवर्द्धन के लिए उत्कृष्ट कार्य करने के उपलक्ष में महाराजा दाहरसेन पुरस्कार 2013 इण्डियन इन्स्टीटयूट आफ सिन्धोलोजी, आदीपुर (कच्छ) को इक्कवान हजार रूपये के पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। उक्त संस्था 1989 से उपरोक्त लक्ष्य की पूर्ति में अनुकरणीय कार्य किया है।
समारोह में महाराज दाहरसेन पर नाटक का मंचन किया जायेगा एवं राष्ट्र रक्षा के लिए देश भर से आये युवाओं द्वारा संकल्प लिया जायेगा। समारोह के मुख्य अतिथी राजस्थान के पूर्व कार्यवाहक राज्यपाल एवं पूर्व कार्यवाहक मुख्य न्यायाधिपति श्री एन.एल. टिबरेवाल एवं समारोह के विशिष्ट अतिथि पदमश्री डॉ. चन्द्रप्रकाश देवल होगें।
ज्ञातव्य है कि महाराजा दाहरसेन एवं सिन्धु घाटी की प्राचीनतम सभ्यता एवं संस्कृति को प्रदर्शित करने वाला एक संग्रहालय की स्मारक में स्थापना की गई है। लगभग 30 हजार वर्ग गज जमीन में 1997 में नगर सुधार न्यास अजमेर के तत्कालीन अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत द्वारा निर्मित सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन स्मारक भारतीय उपमहाद्वीप का एक मात्र ऐसा स्मारक है, जिसमें महाराजा दाहरसेन के राष्ट्र रक्षार्थ किये गये संघर्ष एवं सिन्ध के विवरण को जीवंत रूप से मनमोहक पहाड़ी चट्टानों पर प्रदर्शित किया गया है। स्मारक में हिंगलाज शक्तिपीठ, वरूण अवतार झुलेलाल, भग्त कंवरराम, स्वतत्रंता सेनानी शहीद हेमू कालाणी, स्वामी विवेकानंद एवं उदासीन सम्प्रदाय के अधीष्ठाता जगतगुरू श्रीचन्द्र भगवान की मूर्तियंा स्थापित की गई है। सिन्ध के भौगोलिक नक्शे को भूमि पर उकेरा गया है। सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन स्मारक एवं समारोह देश वासियों को हिन्दुस्तान की प्राचीनतम् सभ्यता, राष्ट्र रक्षार्थ बलिदान एवं विभाजन की त्रासदी से साक्षात्कार करने का एक प्रेरणादायी उपक्रम है।
-महेन्द्र कुमार तीर्थाणी
कार्यक्रम समन्वयक,
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