अजमेर। 15 जुलाई 1855 में भारत में टेलीग्राम सेवा का शुभारंभ बडे़ ही अहम वक्त पर हुआ और इस सेवा का औपचारिक समापन 15 जुलाई 2013 को होने जा रहा हैं। 158 साल की सेवा के दौरान टेलीग्राम ने कई दौर देखे। इन सबके बीच आम नागरिक से लेकर युद्ध लड़ रहे योद्धा बार्डर से अपने परिजनांे से संपर्क में रहते थें। आज का दौर भले ही डिज़िटल और संचार क्रांति का हो गया हो लेकिन एक वक्त मंे तार सेवा ही त्वरित संपर्क सेवा मानी जाती थी। भारत दूरसंचार निगम लिमिटेड ने तार सेवा की शुरूआत कोलकता से की थी। इसके बाद अजमेर के नसीराबाद में ब्रिटिश छावनी होनंे के कारण इस सेवा का उपयोग लिया जाने लगा। एक टेलीग्राम में अधिकतम 30 शब्द लिखे जाते थे जिसकी दर 25 रूपये आती थी। एक वक्त में तार एक ऐसा रिर्टन डॉक्यूमेंट था जो न्यायालय और सरकार द्वारा प्रामाणिक माना जाता हैं। इस सेवा में पहले मोर्स का उपयोग होता था उसके बाद इलेक्ट्रोनिक टेलीप्रिंटर और अब वेब बेस्ड टेलीग्राफ मेसेजिंग सिस्टम का उपयोग किया जाने लगा हैं।
अजमेर के पोस्टऑफिस में पिछले लंबे समय से टेलीग्राम ऑफिस में सेवायें दे रहे कर्मचारियांे ने भी इस सेवा की उपयोगिता बताते हुए तार संदेश के बंद न होने की कामना की हैं। 158 साल पुरानी इस ऐतिहासिक सेवा के बंद होने की खबर से सभी लोगो में निराशा का माहोल हैं।
