दैनिक वेतनभोगी व गैंगमेन 9 को भोपाल में प्रदर्शन करेंगे

nimach samachar 01नीमच। आज दिनांक 04.07.2013 को जारी एक प्रेस नोट में सीटू के राज्य सचिव शैलैन्द्रसिंह ठाकुर एवं म.प्र. दैवैभो, कार्य.कर्म. एवं गैंगमेन एकता यूनियन के प्रदेश सचिव अशोक अहीर ने सेवाशर्त 2013 नियम के बारे में बताते हुूये कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा एक बार फिर देवभो का गला काटने की भूमिका तो अक्टुबर 2012 में ही तैयार कर ली गई थी। काटा तो गला दिग्विजयसिंह ने भी था उसने झटके से काटा और शिवराजसिंह ने धीरे धीरे (हलाल) करके काटा। जिस सेवाशर्त नियम की प्रतीक्षा पिछले कई वर्षो से प्रदेश के देवेभौ कर रहे थे इन नियमों की घोषणा होते ही भौचक्के रह गये। जो सेवाशर्ते बनाई गई है उमें दैवेभो ने बस खोया ही है पाया कुठ भी नही है। इससे स्पष्ट हो गया है कि सरकार कांग्रेस की हो या भाजपा की दैवेभो के लिये नागनाथ है, दूसरा सांपनाथ। भाजपा सरकार की दैवेभो के नियमितीकरण के नाम पर सत्ता में आयी थी आज 9 वर्ष पश्चात भाजपा सरकार ने दैवेभो का नियमितीकरण तो किया नही परंतु सेवाशर्त के नाम पर उनको नौकरी से निकालने का फरमान जरुर बना दिया है।
क्या है सेवाशर्ते:-नेताद्वय ने बताया कि 30 मई 2013 को म.प्र. सरकार के गजट नोटिफिकेशन (राजपत्र) के अनुसार म.प्र. दैवेभो कर्मचारी (सेवाशर्ते) नियम 2013 बनाये गये है इसके अनुसार दैवेभो को तीन प्रवर्गो में वर्गीकृत की उन्हें न्यूनतम मजदूरी से ज्यादा ने देने की बंदिश तो लगा ही दी परंतु उन्हें न्यूनतम वेतन अधिनियम से हटाने का षडयंत्र भी रचा गया है। ग्रेच्यूटी के मामले में जहां पहले गेच्यूटी नियम के अनुसार दैवेभो को स्थायी कर्मचारीयों के समान 10 लाख रु. तक गेच्यूटी के पात्र थे वही सरकार ने नया नियम बनाकर ग्रेच्यूटी की सीमा एक लाख तक सीमित कर दी है। अवकाश के मामले में जहां दैवेभो को पहले से ही 9 आकस्मिक अवकाश मिलते थे उन्हें घटाकर 7 कर दिया गया हैं वही राष्ट्रीय और त्यौहारी अवकाशों की संख्या घटा दी गयी हैं जबकि पहले सभी त्यौहारी अवकाश दैवेभो को मिलते थे। जिस पेंशन योजना का हवाला देकर मुख्यमंत्री वाही वाही लूटने की कोशिश कर है दरअसल वह केन्द्र सरकार की राष्ट्रीय पेंशन योजना है जिसमें रिक्शेवाले, ठेलेवाले, पानवाले, किसान कोई भी अपना अंशदान राशि देकर सदस्य बन सकते है। इसमें दैवेभो के वेतन से 10 प्रतिशत राशि काटी जायेगी और जब वह सेवानिवृत्त होगा तब पेंशन दी जायेगी। पूरी राशि जो एकत्र होगी उसमे से एक हिस्सा बड़ी बड़ी कपंनियों के शेयर में लगाया जायेगा जिसके वापस मिलने की कोई ग्यारंटी नही है। ऐसी स्थिति में हम सोचे कि हमें मिला क्या हैं हमसे तो केवल और केवल छिना ही जा रहा है। सेवाशर्त नियम इस प्रकार बनाये गये है कि दैवेभो को नौकरी से बिना किसी जाँच या समीक्षा के कोई भी अधिकारी किसी भी वक्त नौकरी से निकाल सकता है कभी कार्य की अनावश्यकता बताकर नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है और दैवेभो न्यायालय भी नही जा सकेगें इसी तरह सेवाशर्त में मजदूर कर्मचारी का मौलिक अधिकार हड़ताल और आंदोलन करना समाप्त कर दिया गया है। ऐसा करने पर दैवेभो को नौकरी से निकाल दिया जायेगा। यह कर्मचारीयों पर हमले कि शुरुआत है धीरे धीरे स्थायी कर्मचारीयों से भी हड़ताल करने का मौलिक अधिकार छिन लिया जायेगा। इन नियमों ने यह तो बता दिया है कि दैवेभो को बिना लड़े कुछ मिलने वाला नही।
बड़बोले और सरकार परस्त नेताओं के उवाच:- नेताद्वय ने बताया कि म.प्र. में दैवेभो की राज्य स्तर की 10 से अधिक यूनियनें है इसके अलावा स्थायी कर्मचारीयों की भी कई यूनियनें है जो दैवेभो पर अपना अधिकार जमाती है किंतु इन सेवाशर्त नियम पर सबकी बोलती बंद है अभी वे नेता कहीं दिखाई नही दे रहे है जो दैवेभो के रहनुमा होने का दावा करते नही अघाते थे। उनके नियमितीकरण के नाम पर लाखों रुपये का चन्दा खकर इन नेताओं ने डकार तक नही ली। कोई घोषणा कर रहा था कि हमारी यूनियन की मुख्यमत्रंी से बात हो गई है सारे दैवेभो नियमित हो जायेगें, कोई स्थायी करवा रहा था, कोई 10,200 रु से 12,600 रु. वेतन की घोषणा कर रहा था, न नियमितीकरण हुआ न कोई स्थायी हुआ, न 10,000 से 12,600 को वेतन मिला और न वो नेता मिल रहे है जो यह सब दिलाने का दावा कर रहे थे यही नेता जगह जगह मुख्यमंत्री का स्वागत कराते फिर रहे थे और बदले में क्या दिलवाया यह काला कानून। म.प्र. में सीटू ही एकमात्र ऐसा संगठन है जब जब दैवेभो पर मुसीबत आई तो जमीनी संघर्ष और न्यायालयीन लड़ाई लड़कर दैवेभों को जीत दिलाई है। चाहे 1980,1994, 2000 की बात हो तत्कालीन सरकारों द्वारा दैवेभो पर किये गये अत्याचारों का मुकाबला सीटू ने ही किया और दैवेभो को जीतवाकर वापस नौकरी में लाये। विशेष भत्ता दिलवानें का मामला हो या 3-3 लाख तक उपादान दिलाने का मामला हो सीटू ने हमेशा अग्रणी भूमिका निभाई है। आज जब यह नियम बन गये हैं तब हम फिर से म.प्र. की सारी यूनियनो से अपील करते है कि सांगठनिक प्रतिबद्धताओं से ऊपर उठकर आगे आये और दैवेभों कर्मचारीयों के हित में लड़ाई लड़ने के लिये सभी एकजूट हो ताकि इस काले फरमान के खिलाफ एक सच्ची लड़ाई लड़ी जा सके। म.प्र. दैवेभो कार्य.कर्म. एवं गेंगमैन एकता यूनियन सीटू इसी लड़ाई को आगे लड़ने के लिये सभी यूनियनों और दैवेभो साथीयों से अपील करती है कि 9 जुलाई को विधानसभा में होने वाले महाप्रदर्शन को सफल बनाये। हमारी मांगें है कि:- 1. म.प्र. दैवेभो कर्मचारी सेवाशर्त नियम 2013 काला फरमान वापस लो। 2. सभी दैवेभो का नियमितीकरण वे जिस पद पर कार्य कर रहे है उसी पद पर करो। तब तक सभी दैवेभो श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 10,000 रु. प्रतिमाह करो। 3. अनुकम्पा नियुक्ति को पूर्व की तरह लागू करो। 4. सभी दैवेभो को ग्रेच्यूटी, पेंशन, भविष्यनिधी, ईएसआई का लाभ स्थायी कर्मचारीयों के समान दो। 5. ठेका प्रणाली व निजीकरण समाप्त करो। 6. उद्यानिकी व अन्य विभागों में न्यूनतम वेतन लागू करो। 7. कार्यभारित कर्मचारीयों को क्रमोन्नति का लाभ दो। 8. मृत्युपरांत अनुग्रह राशि 3 लाख रुपये करो। 9. ठेका प्रथा समाप्त करो। हरीश डांगी, भेरुसिंह कोठारी, रामलाल, पन्नालाल, नरेष माथुर, जमील भाई, सुनंदा देवी, सुनीता देवी, शांतिदेवी, इद्रंमल पाटीदार,रोडूमल, दिलीप रेकवार, संतोष श्रीवास्तव, सुखलाल, राजाराम, सुनील यादव, भारतसिंह भारद्वाज, प्रहलाद बगाडा, जाकिर हुसैन, इकबाल, हेमंत सोलंकी, बालूसिंह, दिनेश माली, त्रिलोक उपाध्याय, गौरव आचार्य, उमाकंात शुक्ला, संजय इत्यादि साथीयों ने अपील की है कि भोपाल चलने के लिये दिनांक 08.07.2013 को रात्रि 7.30 बजे नीमच रेलवे स्टेशन पर सभी साथी पहुचें। इस हेतु दिनांक 07.07.13 को एक मीटिंग स्थानीय गांधी वाटिका में प्रातः 10 बजे रखी गई है।

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