नगर सुधार न्यास सचिव श्रीमती वनिता श्रीवास्तव की विज्ञप्ति के अनुसार न्यास के कार्य को व्यवस्थित करने की दृष्टि से आगुन्तकों का समय 2 से 4 बजे तक निर्धारित किया गया है। वे इस समय में ही सम्बन्धित अधिकारी से सम्पर्क कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त समय में व्यक्तियों को केवल राजकीय प्रयोनाजर्थ ही प्रवेश दिया जाएगा। नई व्यवस्था के अनुसार किसी कर्मचारी अथवा अधिकारी का मिलने वाला व्यक्ति निर्धारित समय से पहले अथवा बाद में आने पर चौकीदार को फोन से बात करानी होगी। अधिकारी अथवा कर्मचारी के कहने पर ही कार्यालय में प्रवेश करने दिया जाएगा। न्यास प्रशासन ने मुख्य दरवाजे के पास एक चौकीदार बिठाया है, जिसके पास एक रजिस्टर रखा गया है। कार्यालय में प्रवेश करने वाले व्यक्ति आने का कारण और जिससे मिलने आए, उस अधिकारी अथवा कर्मचारी का नाम लिखना होगा। इसी प्रकार न्यास के निर्माण कार्य के ठेके लेने वाले ठेकेदार भी निर्धारित समय में ही कार्यालय में प्रवेश कर सकेंगे।
नई व्यवस्था के बारे में पहले से कोई सूचना जारी न करने की वजह से पिछले दिनों एक पार्षद मुबारक अली चीता की चौकीदार से माथापच्ची हो गई। ऐसे में यह विवाद उत्पन्न हुआ कि यह व्यवस्था ठीक है या नहीं।
इस बारे में कई लोगों का मानना है कि इस व्यवस्था से कम से कम आगंतुक तो यह तो पता रहता है कि उसको तीन से पांच बजे तक जानकारी हासिल हो पाएगी। कार्यालय के कामकाज की दृष्टि से भी यह उचित है ताकि सभी अधिकारी व कर्मचारी मिलने के समय के अतिरिक्त अपने काम का संपादन कर सकें। दूसरी कुछ का मानना है कि न्यास सार्वजनिक दफ्तर है। कार्यालय में किसी प्रकार की रोक नहीं होनी चाहिए। इसी तर्क के कारण इससे पूर्व में भी बनाई गई व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया था।
आपको याद दिला दें कि जब भाजपा नेता औंकार सिंह लखावत न्यास के अध्यक्ष थे तो उन्होंने भी इस प्रकार की व्यवस्था बनाई थी और वह काफी कारगर रही। तब लोगों को उचित जानकारी देने के लिए भी अधिकारियों व कर्मचारियों को पाबंद किया गया था, इस कारण लोग संतुष्ट थे।
अब जब कि एक बार फिर इस प्रकार की व्यवस्था को लागू किया गया है तो जानकार लोगों का कहना है कि न्यास ने भले ही भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए व्यवस्था की हो, लेकिन यह कामयाब नहीं होगी। न्यास में भू माफियाओं को काम कराने होंगे तो वह निर्धारित समय में करा लेंगे। अथवा कोई दूसरा रास्ता निकाल लेंगे। आम उपभोक्ता पहले जो अपनी सुविधानुसार किसी भी समय कार्यालय में प्रवेश कर सकता था, लेकिन अब उसको निर्धारित समय में आना होगा।
इस बारे में यदि निष्पक्ष रूप से देखा जाए तो कोई भी व्यवस्था यदि सख्ती से लागू की जाती है तो अच्छी बात है, मगर उसका लाभ भी मिलना चाहिए। नई व्यवस्था को सराहनीय तभी माना जाएगा, जबकि जानकारी हासिल करने वालों को पूरी तरह से संतुष्ट करके भेजा जाए। जमीनी हकीकत ये है कि न्यास में लोग एक टेबल से दूसरी टेबल तक चक्कर लगाते हैं, मगर उनको यथोचित जानकारी ही नहीं मिलती। अधिकारी व कर्मचारी पूरी तरह से गैर जिम्मेदार तरीके से पेश आते हैं। आज भी हालत ये है कि विशेष रूप से नियमन के मामलों में लोगों को ठीक से जानकारी देने वाला कोई नहीं है। ऐसे में बेहतर ये होगा कि न्यास सचिव श्रीमती वनिता श्रीवास्तव नई व्यवस्था के साथ साथ यथोचित जानकारी ठीक से उपलब्ध करवाने की भी व्यवस्था करवाएं। जानकारी उपलब्ध करवाने की समय सीमा भी निर्धारित करवाएं।