केकड़ी। आज इंसान बंधनों के कारण दु:खी हैं संत महात्मा इंसान को बंधनों से मुक्त कर परम पिता परमात्मा का ज्ञान देकर सुखी जीवन जीनें की कला सिखाते हैं। ये उद्गार संत कालूराम निरंकारी ने अजमेर रोड़ पर स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन में आयोजित सत्संग के दौरान व्यक्त किये।
निरंकारी सत्संग मण्डल प्रवक्ता रामचन्द्र टहलानी ने बताया कि संत ने सत्संग के दौरान कहा कि जिस इंसान को अभिमान है। वो परेशान हैं परम पिता परमात्मा सबके अन्तत की जानते हैं इंसान का सद्गुरू की शरण में जाकर इस परेशानी से निजात पा सकता हैं जिससे हमारे चित का नाता परमात्मा से जुड़ जाता हैं। इससे सोच विशाल बनती हैं सब कुछ तेरा मेरा कुछ नहीं जब इंसान का कुछ हैं ही नहीं तो अभिमान किस बात का। परमात्मा का स्मरण के साथ किया गया हर कार्य सद्कर्म कहलाता हैं। संत प्रवृति सदा दूसरों को जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं संत सदा जोडऩे का काम करते हैं तोडऩा अज्ञानियों का काम होता हैं। परमात्मा के नाम अनेक हैं पर शक्ति एक होती हैं परमात्मा का जानकर उसकी शक्ति से जुड़कर किये गये कार्य से चौरासी के बंधनों से इंसान मुक्ति पा सकता हैं।
सत्संग के दौरान रेखा,गोपाल,दीपा रंगवानी,संगीता टहलानी,रतन चन्द रंगवानी,तेज नारायण,रोहित सहित अन्य ने गीत विचार प्रस्तुत किये तथा स्वामी का स्वागत अशोक रंगवानी व संचालन कालू द्वारा किया गया। -पीयूष राठी