अनेक सरकारी दफ्तरों की वजह से खास है अजमेर

सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह और तीर्थराज पुष्कर के साथ रेलवे का मंडल कार्यालय होने के कारण तो इस शहर को दुनियाभर में जाना ही जाता है, अनेक महत्वपूर्ण राज्य स्तरीय सरकारी दफ्तरों के यहां स्थापित होने के कारण इसे विशिष्ट दर्जा हासिल है।
राजस्थान राजस्व मंडल
आजादी और अजमेर राज्य के राजस्थान में विलय के बाद राज्य के लिए एक ही राजस्व मंडल की स्थापना नवंबर 1949 में की गई। पूर्व के अलग-अलग राजस्व मंडलों को सम्मिलित कर घोषणा की गई कि सभी प्रकार के राजस्व विवादों में राजस्व मंडल का फैसला सर्वोच्च होगा। खंडीय आयुक्त पद की समाप्ति के उपरांत समस्त अधीनस्थ राजस्व विभाग एवं राजस्व न्यायालय की देखरेख एवं संचालन का भार भी राजस्व मंडल पर ही रखा गया। इसके प्रथम अध्यक्ष बृजचंद शर्मा थे। इसका कार्यालय जयपुर के हवा महल के पिछले भाग में जलेबी चौक में स्थित टाउन हाल, जो कि पहले राजस्थान विधानसभा भवन था, में खोला गया। बाद में इसे राजकीय छात्रावास में स्थानांतरित किया गया। इसके बाद एमआई रोड पर अजमेरी गेट के बाहर रामनिवास बाग के एक छोर के सामने यादगार भवन में स्थानांतरित किया गया। इसके बाद इसे जयपुर रेलवे स्टेशन के पास खास कोठी में शिफ्ट किया गया।
सन् 1958 में राव कमीशन की सिफारिश पर अजमेर में तोपदड़ा स्कूल के पीछे शिक्षा विभाग के कमरों में स्थानांतरित किया गया। इसके बाद 26 जनवरी 1959 को जवाहर स्कूल के नए भवन में शिफ्ट किया गया। इसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय ज्ञ् श्री मोहनलाल सुखाडिय़ा ने किया। सन् 1966 में अध्यक्ष के अतिरिक्त सदस्यों की संख्या बदल कर कम से कम तीन और अधिकतम सात निर्धारित की गई। कुछ ही साल पहले इसकी सदस्य संख्या की सीमा 15 कर दी गई। इसमें सुपर टाइम आईएएस अधिकारियों के अतिरिक्त राजस्थान उच्च न्यायिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी, वरिष्ठ अभिभाषक और आरएएस से पदोन्नत वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को पदस्थापित किया जाता है।
राजस्थान लोक सेवा आयोग
आजादी से पहले देशी रियासतों में प्रशासनिक तथा न्यायिक अधिकारियों के पदों पर रजवाड़ों के अधीन जागीरदार या बड़े पदों पर आसीन अधिकारियों की संतानों को ही लगाने की प्रथा थी। स्वाधीनता प्राप्ति से कुछ ही पहले के सालों में देशी रियासतों में राज्य सेवा में भर्ती के लिए लोक सेवा आयोग अथवा चयन समिति का गठन किया था। सन् 1939 में जोधपुर, 1940 में जयपुर, 1946 में बीकानेर में लोक सेवा आयोग व 1939 में उदयपुर में चयन समिति स्थापित की गई थी। आजादी के बाद देशी रियासतों का एकीकरण किया गया और सभी वर्गों में से स्वतंत्र रूप से योग्य व्यक्तियों के चयन के लिए 16 अगस्त, 1949 को राजस्थान लोक सेवा आयोग का गठन किया गया। तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री सरदार वल्लभाई पटेल के नीतिगत निर्णय के तहत 11 जून 1956 में श्री सत्यनारायण राव की अध्यक्षता में गठित राजस्थान केपिटल इन्क्वायरी कमेटी की सिफारिश पर अजमेर के महत्व को बरकरार रखते हुए राजस्थान लोक सेवा अयोग का मुख्यालय अजमेर में रखा गया। अगस्त, 1958 में इसे अजमेर स्थानांतरित कर दिया गया। पूर्व में यह रवीन्द्र नाथ टैगोर मार्ग पर स्थित भवन में संचालित होता था, जबकि अब यह जयपुर रोड पर घूघरा घाटी के पास स्थित है। आयोग के प्रथम अध्यक्ष मुख्य न्यायाधीश सर एस. के. घोष थे। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले इसका विखंडन कर अधीनस्थ एवं मंत्रालयिक सेवा चयन बोर्ड गठन कर दिया गया, लेकिन कांग्रेस सरकार ने उसे भंग कर दिया गया।
रीजनल कॉलेज
पुष्कर रोड पर स्थित रीजनल कॉलेज देश के प्रमुख शिक्षण संस्थानों में से एक है। केन्द्र सरकार की ओर से गठित नेशनल कौंसिल फॉर एज्यूकेशन रिसर्च एंड टेनिंग (एनसीईआरटी) ने सन् 1963 में क्षेत्रीय महाविद्यालय की स्थापना की। विज्ञान, तकनीकी, कृषि व वाणिज्य के शिक्षक प्रशिक्षण के लिए स्थापित इस प्रकार के देश में तीन और महाविद्यालय हैं। यहां पढऩे वालों को आवासीय सुविधा भी उपलब्ध है। यहां अनेक प्रांतों के छात्र-छात्राएं पढऩे आते हैं। इसी महाविद्यालय परिसर में डेमोंस्ट्रेशन स्कूल स्थापित है। यह स्कूल अपने आप में अनूठा है। यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा पद्धति में होने वाले परिवर्तनों का परीक्षण किया जाता है।
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड
आजादी के बाद विभिन्न रियासतों के विलीनीकरण के दौरान तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभाई पटेल के नीतिगत निर्णय के तहत 11 जून 1956 को श्री सत्यनारायण राव की अध्यक्षता में गठित राजस्थान केपिटल इन्क्वायरी कमेटी की सिफारिश पर अजमेर के महत्व को बरकरार रखते हुए 4 दिसम्बर 1957 को पारित शिक्षा अधिनियम के तहत माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का मुख्यालय अजमेर रखा गया। यह प्रदेशभर के सेकंडरी व सीनियर सेकंडरी के छात्रों की परीक्षा आयोजित करता है। पूरे देश के माध्यमिक शिक्षा बोर्डों में इसकी प्रतिष्ठा सर्वाधिक है। विशेष रूप से परीखा संबंधी कार्यों की गोपनीयता के मामले में इसकी मिसाल दी जाती है। यही वजह है कि देशभर के शिक्षा बोर्डों के अध्यक्षों की संस्था कोब्से का नेतृत्व करने का गौरव इसे हासिल है।
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय की स्थापना मूलत: अजमेर विश्वविद्यालय के नाम से 1 अगस्त, 1987 को हुुई। बाद में 5 मई 1992 को इसका नाम बदल मौजूदा कर दिया गया। विश्वविद्यालय के पास अपना खुद का विशाल व खूबसूरत भवन जयपुर रोड से सटे पुष्कर बाईपास पर है। यह अजमेर से तकरीबन सात किलोमीटर दूर है। इस विश्वविद्यालय से प्रदेश के नौ जिलों के तकरीबन 214 राजकीय व निजी महाविद्यालय जुड़े हुए हैं और यह करीब डेढ़ लाख विद्यार्थियों की परीक्षा आयोजित करता है। वर्तमान में इसमें कुल 24 विषयों के विभाग हैं।

रेलवे भर्ती बोर्ड
रेलवे भर्ती बोर्ड, अजमेर की स्थापना मूलत: सन् 1983 में रेलवे सेवा आयोग, अजमेर के रूप में हुई थी। बाद में 1985 में इसका मौजूदा नामकरण किया गया। यह उत्तर-पश्चिम रेलवे के अजमेर, जयपुर, जोधपुर, बीकानेर डिवीजन और पश्चिम-केन्द्र रेलवे के कोटा डिवीजन के लिए ग्रुप सी के वर्किंग व सुपरवाइजरी स्टाफ का चयन करता है। यह हफ्ते में पांच दिन सोमवार से शुक्रवार तक खुलता है। इसके मौजूद अध्यक्ष श्री वी. डी. एस. कास्वां, सदस्य सचिव श्री आर. के. शर्मा व सहायक सचिव ए. के. जैन हैं।
केन्द्रीय विश्वविद्यालय
सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान की स्थापना 20 मार्च, 2009 को हुई। यह अजमेर-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर किशनगढ़ के पास बांदरा सिंदरी में मुख्य मार्ग से सात सौ मीटर दूर स्थापित की गई है, जो अजमेर से 46 व किशनगढ़ से 20 किलोमीटर दूर है। देश की राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल इसकी विजिटर और प्रथम वाइस चासंलर प्रो. एम.एम. सांखुले हैं। इसका भवन पूरा बनने तक सत्र 2010-2011 के सभी अकादमिक कार्यक्रम किशनगढ़ के श्री रतनलाल कंवरलाल पाटनी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में संचालित किए जा रहे हैं। वहां इंटरनेट सुविधा से युक्त छात्र व छात्रा के लिए पृथक-पृथक आवास, पूर्णत: सुसज्जित प्रयोगशाला, 10 एमबीपीएस हाई स्पीट इंटरनेर फेसिलिटी, भाषा प्रयोगशाला और केंटीन मौजूद है।
इसके अतिरिक्त यहां स्थापित आयुर्वेद निदेशालय पूरे प्रदेश के आयुर्वेद व यूनानी अस्पतालों का नियंत्रण करता है। इसी प्रकार श्री सीमेंट, ब्यावर, आर.के. मार्बल, किशनगढ़, तोषनीवाल इंडस्ट्रीज, एचएमटी, सोकलिया गोडावण संरक्षित क्षेत्र, पेट्रोलियम टेबल टेनिस अकेडमी, राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केन्द्र, ब्यावर का पावरलूम आदि के कारण भी अजमेर को पूरे देश में जाना जाता है।

-तेजवानी गिरधर
7742067000
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अजमेर एट ए ग्लांस से साभार

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