अजमेर। लक्ष्मीनारायण मंदिर हाथीभाटा, अजमेर में वृदांवन के विख्यात कथावाचक भागवत भ्रमर आचार्य मयंक मनीषी की संगीतमय समधुर वाणी द्वारा गत 17 जुलाई से चल रही भागवत कथा में चतुर्थ दिन आचार्य ने भगवाननाम की महिमा का वर्णन किया। उन्होनें कहा कि कलयुग केवल नाम आधारा, सुमीर सुमीर भव पार उतारा। आचार्य ने कहा कलयुग मं केवल भगवान नाम से संकीर्तन से ही कल्याण सम्भव है। उन्होनें कहा कि मीरां बाई, नृसिंग भगत, तुकाराम आदि भक्तों ने भगवान नाम संकीर्तन से ही भगवान को प्राप्त किया। आगे कथा में नृसिंह के चरित्र का वर्णन करते हुए प्रहलादकृत भगवान की स्तुति के विषय में कहा कि भक्ति और भक्त का उदाहरण भक्त प्रहलाद ने दिया है। भक्ति वह है जो निष्काम हो जिसमें कोई कामना न हो और भक्त वो है जो पापी एवं शत्रु के प्रति भी दयाभाव रखता हो। भक्त प्रहलाद से जब भगवान ने वरदान मांगने को कहा तो उन्होनें अपने लिये कुछ नहीं मांगा अपितु हिरण्याकष्यप के लिए मुक्ति मांगी। गज एवं गा्रह का वर्णन करते हुए उन्होनं कहा कि जब जब भक्त पर संकट आता है भगवान अवतार लेते हैं। धु्रवजी की करूण पुकार सुनकर भक्त प्रहलाद के प्राण बचाने आये ऐसे ही भागवत भक्त गज की करूण वेदना सुन भगवान दौड़े दोड़े आये और उसे ग्राह से छुड़ाकर पीड़ा से मुक्त किया। वाहन अवतार में कथा श्रवण कर यह ज्ञान प्राप्त होता है कि गुरू की कृपा से बड़ा संसार में कोई साधन नहीं है। देवताओं में अमृतपान किया परन्तु वह युद्ध में हार गये क्योंकि दैत्य के पास अमृत से भी श्रेष्ठ गुरूकृपा की शक्ति थी। कथा में सूर्यवंष के वर्णन में अनेक प्रतापी राजा का वर्णन करते हुए भगवान राम का जीवन चरित्र एवं रामचरित्र मानस की महत्वतता का वर्णन किया। उन्होनें कहा कि भगवान राम को जो जीवन चरित्र है वह अनुकरणयी है। सम्पूर्ण मानव समाज के लिये आदर्ष एवं वंदनीय है। रामचरित्र मानस को जानने के लिये राम को जानना आवष्यक है। भगवान राम की कृपा के बिना उनकी लिलाओं को समझना असहज है, प्रेम, त्याग,ं तपस्या एंव मर्यादा की प्रतिमूर्ति है राम। अगर घर परिवार में अच्छे संस्कार चाहिये तो रामचरित्र मानस को अपने अंतकरण में उतारना होगा एवं बच्चे बच्चे को इससे परिचित कराना एवं मानस का अभ्यास कराना आवष्यक है। भगवान राम ने अपनी माँ का वचन निभाने के लिये 14 वर्ष वनवास सहर्ष स्वीकार किया एवं पत्नि की रक्षा एवं सम्मान के लिये समुन्द्र पर भी सेतु बांध दिया। दुनिया में मर्यादा और प्रेम का उदाहरण नहीं मिलेगा। आज की कथा में भगवान कृष्ण का जन्म का वर्णन किया। कल कथा में नंद महोत्सव मनाया जायेगा। आचार्य मयंक मनीषजी ने गौ-सेवा को भगवान की ही सेवा बतया क्योंकि भगवान ने भी गौ पालक के रूप में कृष्ण अवतार लिया है। आज कथा में ओमप्रकाष जी मंगल के नेतृत्व में श्री राधा कृष्ण सखा परिवार के सदस्यों द्वारा आचार्यजी का राजस्थानी परम्परा अनुसार सत्कार कर आर्षीवाद लिया।
-सतीष अग्रवाल
8890379007
