क्लिष्ट शब्दों के प्रयोग से परहेज करें-दवे

bser logoअजमेर। राजस्थान माध्यमिक षिक्षा बोर्ड के विŸाीय सलाहाकार अमृत दवे ने कहा कि यदि हिन्दी को सर्वग्राह्य भाषा बनाना है तो हिन्दी के प्रकाण्ड़ पण्डित इसमें क्लिष्ट शब्दों के प्रयोग से परहेज करें। विषेष रूप से तकनीकी शब्दों को आसान बनाया जाए। आमतौर पर ऐसा माना जाता है विज्ञान अग्रंेजी में पढ़ना और समझना आसान है क्यांेकि हिन्दी में इसकी गूढ़ शब्दावली के कारण विद्यार्थीयों के लिए सहज ग्राह्य् नहीं है, इसलिए उच्च अध्ययन संस्थाओं में पढ़ाई का माध्यम अंग्रेजी है।
श्री दवे शनिवार को राजस्थान माध्यमिक षिक्षा बोर्ड के राजीव गांधी सभागार में राजभाषा क्रियान्व्यन समिति एवं मंत्रालियक स्टाफ क्लब द्वारा आयोेजित हिन्दी सप्ताह के समापन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हिन्दी अपने बलबूते पर अब विष्व के मानचित्र पर अपना विषिष्ट स्थान इसलिए बना रही है कि पिछले कुछ सालों में हिन्दी भाषी लोगों की क्रय शक्ति में भारी इजाफा हुआ है। इस कारण कम्प्यूटर, लैपटॉप, आईफोन और मोबाईल्स् इत्यादि को बनाने वाली अर्न्तराष्ट्रीय कम्पनियॉं इनमें हिन्दी एप्स का समावेष कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया बहुभाषावादी इस राष्ट्र में भाषा के नाम पर वर्ग संघर्ष को रोकने के लिए कोठारी आयोग द्वारा सुझाया गया त्री-स्तरीय भाषा फार्मूला समान रूप से पूरे देष में लागू किया जाए।
बोर्ड की विषेषाधिकारी श्रीमती प्रिया भार्गव ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि विद्यालय स्तर पर देष के सभी षिक्षा बोर्ड राजस्थान माध्यमिक षिक्षा बोर्ड की तरह अपनी परिक्षाओं में हिन्दी भाषा को अनिवार्य विषय के रूप में लागू करें। देष में राजस्थान एक ऐसा प्रांत है जहॉं सरकारी कार्यों में हिन्दी का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है परन्तु देष की राजधानी दिल्ली से आने वाले अधिकांष सरकारी पत्र-प्रपत्र अंग्रेजी में ही होते है।
शनिवार को आयोजित काव्य पाठ प्रतियोगिता में विषिष्ट अतिथि के रूप में गजलगो सुरेन्द्र चतुर्वेदी ने ‘‘ मुझे अंधियों में जो जलना पडेगा, हवाओं का रूख भी बदलना पड़ेगा‘‘ तथा ‘‘ इष्क में खुद को खुद से चुराना पड़ता है, खुद में रहकर वक्त बिताना पड़ता है‘‘ जैसी गजले सुनाकर प्रभावित किया। मधुर गीतकार गोपाल गर्ग ने ‘‘ या तो ख्वाबों की मंजिल के बीच सफर है हम दोनों‘‘ और ‘‘ इस कदर आपकी कमी गुजरी, होठ पपड़ा रहे थे फूलों के और कुछ दुर से नमी गुजरी‘‘ जैसे मीठे गीत सुनाकर महौल को संगीतमय् बना दिया। बोर्डकर्मी सुश्री पुष्पा टेकचंदानी अपनी काव्य रचना में हिन्दी दूर्दषा का चित्रण किया। नीतू जैन ने अपनी कविता में मॉं की कल्पना को उकेरा।

समारोह में हिन्दी सप्ताह के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगियों के विजयी प्रतियोगियों को पुरूस्कृत किया गया। प्रष्नावली प्रतियोगिता में प्रथम विनय माथुर और निर्मल गुप्ता द्वितीय श्रीमती शषि भारद्वाज और तृतीय हरिषरण मिŸाल तथा लक्ष्मण पंजाबी, आषुभाषण प्रतियोगिता प्रथम संजय तायल, द्वितीय दीपक शर्मा और तृतीय श्रीमती शषि भारद्वाज, आलेख प्रतियोगिता प्रथम विनय माथुर, द्वितीय श्रीमती शषि भारद्वाज और तृतीय संजय तायल, स्लोगन प्रतियोगिता प्रथम अंजनी भूतड़ा, द्वितीय श्रीमती शषि भारद्वाज और तृतीय पृथ्वी सिंह नरूका, श्रुतिलेख प्रतियोगिता में प्रथम षिखा शर्मा, द्वितीय श्रीमती गंगा मोतीरमानी और तृतीय बृजेष शर्मा, श्रीमती अर्चना पारीक, श्रीमती शषि भारद्वाज, हरिषरण मिŸाल और अनिल वर्मा, वर्ग पहेली प्रतियोगिता में लक्ष्मण पंजाबी, राजेष कुमार शर्मा, श्रीमती शषि भारद्वाज, संजय तायल, पृथ्वी सिंह नरूका, श्रीमती नीतू जैन, श्रीमती गंगा मोतीरमानी और अषोक कुमार शर्मा विजयी रहें। हिन्दी सप्ताह का सयोजन उमेष चौरासिया, गुरू सेवक बाकलीवाल, अषोक जांगला और राजीव चतुर्वेदी ने किया। कार्यक्रम का संचालन बृजेष शर्मा ने किया। प्रारम्भ में स्टाफ क्लब के अध्यक्ष किया नवीन जैन ने आगन्तुकों का स्वागत किया और अन्त में क्लब सचिव रूप श्याम सैन ने आभार प्र्रकट किया। समारोह में बोर्ड के निदेषक जी.के.माथुर उप निदेषक जनसम्पर्क राजेन्द्र गुप्ता, वरिष्ठ सहा0 निदेषक अनिल गुप्ता, प्रेम सिंह सिसोदिया भी उपस्थित थे। इस अवसर पर अभिनव प्रकाषन द्वारा श्रेष्ठ हिन्दी लेखको की पुस्तकों की प्रदर्षनी लगायी गई।

-राजेन्द्र गुप्ता, उप निदेषक (जनसम्पर्क)

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