पुष्कर मेला रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ सम्पन्न

देशी-विदेशी पर्यटकों व पशुपालकों के लिए बेहतरीन रही व्यवस्थाएं 
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पशुपालन विभाग के शासन सचिव श्री राजेश्वर सिंह, संभागीय आयुक्त अजमेर श्री धमेन्द्र भटनागर पुष्कर मेले में उंट दौड़ विजेता पशुपालक पुरस्कृत करते हुए
पशुपालन विभाग के शासन सचिव श्री राजेश्वर सिंह, संभागीय आयुक्त अजमेर श्री धमेन्द्र भटनागर पुष्कर मेले में उंट दौड़ विजेता पशुपालक पुरस्कृत करते हुए

 

पुष्कर मेले के समापन समारोह में मौजूद ग्रामीण दर्शकों की भीड़
पुष्कर मेले के समापन समारोह में मौजूद ग्रामीण दर्शकों की भीड़

 

उंट सजाने वाले कलाकर श्री अशोक टांक पुष्कर मेले के समापन समारोह में अपने सजे धजे उंट के साथ
उंट सजाने वाले कलाकर श्री अशोक टांक पुष्कर मेले के समापन समारोह में अपने सजे धजे उंट के साथ

 

पुष्कर मेले के समापन समारोह में भाग लेता हुआ कलाकार
पुष्कर मेले के समापन समारोह में भाग लेता हुआ कलाकार

अजमेर।  अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त श्री पुष्कर पशु मेला आज कार्तिक पूर्णिमा स्नान व पुरस्कार वितरण समारोह के साथ सम्पन्न हो गया। मेला मैदान पर आयोजित रंगारंग समापन समारोह में विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, कला जत्था परेड एवं पशु परेड आकर्षण का केन्द्र रही। प्रशासन द्वारा मेले में आए श्रद्धालुओं, पशुपालकों व देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए किए गए बेहतरीन इंतजाम से मेला हर्षोल्लास व उमंग के साथ सम्पन्न हो गया।

समापन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रमुख शासन सचिव कृषि एवं पशुपालन विभाग श्री राजेश्वर सिंह ने कहा कि मेलें देश की सांस्कृतिक धरोहर है, इन मेलों में गौरवशाली अतीत व सांस्कृतिक समागम से परिचित होने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि पुष्कर मेला बहुआयामी है यहां संस्कृति, धर्म, पर्यटन एवं पशु विक्रेताओं का अनूठा संगम देखने को मिलता है, जिसे देखने के लिए बडी संख्या में विदेशी पर्यटक भी यहां पहुंचते है। इस अनूठे आयोजन को करवाने के लिए उन्होंने जिला प्रशासन, पशुपालन विभाग, पर्यटन विभाग, पुलिस, स्वयंसेवी संस्थाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं समेत व्यवस्था से जुडे सभी लोगों का आभार प्रकट करते हुए बधाई दी। इसके बाद पशु पालन विभाग के संयुक्त निदेशक एवं मेलाधिकारी डाॅ. गुलाब चन्द जिंदल ने पुष्कर मेला रिपोर्ट प्रस्तुत की।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे संभागीय आयुक्त श्री धर्मेन्द्र भटनागर ने कहा कि पुष्कर मेलें में संस्कृति के कई रूप रंग एक ही स्थान पर नजर आते है। मेलें जहां एक और पंचतीर्थ स्नान का आध्यात्मिक महत्व है वहीं पशुपालकों, पशुओं का जमावडा इसे अलग ही स्वरूप दे देता है। देशी-विदेशी सैलानी मेले के दौरान भारतीय संस्कृति के विविध रूपों से यहां परिचित होते है। मेलें में गरीब व अमीर एक साथ पुष्कर के 52 घाटों पर कार्तिक पूर्णिमा पर पंचतीर्थ स्नान कर आध्यत्मिक आनंद प्राप्त करते है, साथ ही संास्कृतिक समागम के अनूठे स्वरूप से भी परिचित होते है।
समापन समारोह के दौरान पुष्कर की विद्यालयी छात्राओं ने राजस्थानी घूमर नृत्य प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। इसके बाद कला जत्थों की परेड में ऊंट पर सवार बीकानेर के रोबीलों ने अपनी मूछों व वेश-भूषा से काफी प्रभावित किया। कच्छी घोडी नृत्य एवं नरेन्द्र सोनी व कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया भवई नृत्य रोचक था। झंडाराम व उनके दल ने पारम्परिक परिधानों में लोकदेवता तेजाजी हेतु किया जाने वाले नृत्य प्रस्तुत किया। बारां के गोपाल धानुका के नेतृत्व में स्वांग कलाकारों ने काफी वाहवाही लूटी। बाडमेर के जीवाराम व दल ने गैर नृत्य, श्याम मित्रा मंडल चूरू के कलाकारों ने चंग व ढप्प की थाप पर नृत्य, कालबेलिया नृत्य एवं ऊंट सज्जा में प्रख्यात अशोक टांक ने श्रृंगारित ऊंट के साथ आकर मेला मैदान पर देशी-विदेशी पर्यटकों को भारतीय संस्कृति के अनूठे रूप से परिचय कराया।
इस अवसर पर सर्वश्रेष्ठ गीर पशु, सर्वश्रेष्ठ दुधारू पशु, हालस्टिक गाय के पशुपालकों को पुरस्कार प्रदान किए गए। पशुपालकों ने विजेता पशुओं के साथ पशु परेड में भाग लिया। इसके बाद मेला मैदान पर ऊंट परेड, टग आॅफ वार, जलेबी रेस, वाॅटर पाॅट रेस आदि प्रतियोगिताएं भी हुई जिनका सैलानियों व स्थानीय लोगों जमकर लुत्फ उठाया। प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
समापन समारोह में पुलिस अधीक्षक श्री महेन्द्र चैधरी, मेला मजिस्टेªट श्री संजय कुमार माथुर, निदेशक पशुपालन विभाग डाॅ. राजेश मान, अतिरिक्त निदेशक पशुपालन विभाग डाॅ. प्रभुदयाल, संयुक्त निदेशक पर्यटन विभाग जी.एस. गंगवाल समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं देशी-विदेशी सैलानी मौजूद थे।
श्रृद्धालुओं ने किया पंचतीर्थ स्नान
तीर्थराज पुष्कर मंे आज प्रातः 3 बजे से ही बडी संख्या में श्रृद्धालू, देशी-विदेशी सैलानी जुटना प्रारंभ हो गए और श्रृद्धालुओं ने पूरे भक्ति भाव से पुष्कर सरोवर में डुबकी लगाकर पंचतीर्थ स्नान किया। सरोवर के सभी 52 घाटों पर सुरक्षा, बिजली आदि के पर्याप्त इंतजाम किए गए थे।
सरोवर पर किसी प्रकार की अनहोनी को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा नियुक्त गोताखोर व स्वयंसेवक मौजूद रहे। श्रृद्धालुओं की बडी संख्या को देखते हुए घाटों पर प्रवेश व निकास के लिए बेरिकेड लगाकर व्यवस्थित इंतजाम किए गए थे। पुलिस, सामाजिक कार्यकर्ताओं व स्वयंसेवकों ने श्रृद्धालुओं को घाटों पर की गई व्यवस्था व सुविधाओं की जानकारी दी, वहीं यातायात पुलिस के जवानों ने विभिन्न मार्गो पर बेरिकेडिंग कर वाहनों की आवाजाही को नियंत्रित किया।
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