तालिबानी हमला मानवता के खिलाफ घिनौना अपराध-असरार अहमद

asrar ahmadअजमेर। हिन्दुस्तान में मुसलमानों के सबसे बड़े धर्म स्थल सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिष्ती की दरगाह के अध्यक्ष असरार अहमद खान ने पाकिस्तान के पेशावर में आर्मी स्कूल पर हुए तालिबानी आतंकी हमले की घोर निंदा करते हुए इसे मानवता के खिलाफ घिनौना अपराध बताया है उन्होने साफ शब्दों में कहा कि जिहाद और इस्लाम के नाम पर इस प्रकार की आतंकी घटनाओं को अंजाम देना गैर शरई होते हुऐ इस्लाम के मौलिक सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होने कहा कि स्कूली छात्रों के साथ मंगलवार को आतंकियों ने खून की जो होली खेली है उसे दुनिया कभी नहीं भुला पाऐगी।

उन्होने एक ब्यान जारी कर पेशावर हमले को कायराना बताते हुए कहा कि आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान का यह घर्णात्मक एवं कायरतापूर्ण कृत इस्लाम विरोधी होते हूऐ ईन्सानियत के खिलाफ हैं ऐसे गैर इस्लामी काम को अंजाम देने के लिये आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान को इस्लाम से खारिज कर दुनिया के मुसलमानो को अपने दामन से आतंकवाद के दाग को साफ करने के लिये साकारात्मता से एक जुट होना होगा।

असरार अहमद खान ने कहा कि स्कूल में छात्रों और अन्य निर्दोष लोगों की जान लेने वाला यह एक ऐसा विवेकहीन बर्बरतापूर्ण कृत्य है जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। इस हमले में ना केवल मासूम बच्चों का कत्ल.ए.आम किया गया है बल्कि मानवीयता की मूल धारणा को ही मारा गया है। दुख की इस घड़ी में हमारी प्रार्थनाएं उन लोगों के साथ हैं जिन्होंने अपनों को खोया है। आतंकवाद ना कभी सही था ना कभी इसे सही ठहराया जा सकता है। उन्होने कहा कि तालिबान आतंकियों ने दिल दहला देने वाली यह घटना एक ऐसे समय अंजाम दी है जब शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद मलाला युसुफजई बच्चों की शिक्षा के लिए कहीं जोरदारी से अलख जगा रही थी।

खान ने कहा कि ये बच्चे पाकिस्तान ही नहीं इंसानियत की अमानत थे। इनकी हिफाजत करना पाकिस्तानी  फौजों की जिम्मेदारी थी मगर पाकिस्तानी फौज से इस जिम्मेदारी को निभाने में भारी चूक हुई है। पाकिस्तान के शासक और वहां के सैन्य अधिकारी यह समझें कि आतंकियों को पालने पोसने के कितने भयावह दुष्परिणाम होते हैं। वर्तमान में जो तालिबान आतंकी पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा संकट बन गए हैं उन्हें एक समय पाकिस्तान सरकार का भी सहयोग मिला और सेना का भी। पाकिस्तान को आतंकी संगठनों के मामले में अपनी रीति.नीति के साथ सोच विचार में भी व्यापक परिवर्तन लाने की जरूरत है।
असरार अहमद खान
अध्यक्ष
दरगाह कमेटी दरगाह ख्वाजा साहब अजमेर शरीफ
9414349897

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