भारतीय सांस्कृतिक गौरव की स्मृतियाँ समेटे हुए अपना नव वर्ष (संवत्सर) – परांजपे

Still0312_00004अजमेर। नव सम्वत्सर समारोह समिति अजयमेरू के तत्वाधान में पखवाड़े के प्रारम्भ में आज राजकीय बालिका इंजिनियरिंग कॉलेज, पोलोटेक्नीकल कॉलेज, आर्य नारायणी कॉलेज में विचार गोष्ठियां व परिचर्चायें आयोजित की गयी। जिसमें ‘भारतीय नवसम्वत्सर के बारे में जानकारी देते हुए प्रमुख शिक्षाविद श्री पुरूषोत्तम परांजपे ने का कहा कि भारतीय संास्कृतिक गौरव की स्मृतियाँ समेटे हुए अपना नव वर्ष (संवत्सर) युगाब्द 5117, विक्रम संवत् 2072 की चैत्र शुल्क प्रतिपदा तदानुसार 21 मार्च 2015 को प्रारम्भ हो रहा है। सर्वस्पर्शी एवं सर्वग्राह्य भारतीय संस्कृति के दृष्टा मनीषियों और प्राचीन भारतीय खगोल शास्त्रियों के सूक्ष्म चिन्तन मनन के आधार पर की गई कालगणना से अपना यह नव संवत्सर पूर्णतः वैज्ञानिक एवं प्रकृति सम्मतः तो है ही, हमारे राष्ट्रीय स्वाभिमान एवं सांस्कृतिक ऐतिहासिक धरोहर को पुष्ट करने का पुण्य दिवस भी है। उन्होने कहा कि ऐतिहासिक महत्व के साथ साथ वैज्ञानिक महत्व, प्राकृतिक महत्व और भारतीय संविधान की भावना के अनुसार विश्व में भारतीय गौरव को प्रतिष्ठित कर दें।
इस अवसर पर श्री रामप्रकाश बंसल ने कहा कि हमें नव संवत्सर का स्वागत नव वर्ष की पूर्व संध्या पर घरों के बाहर दीपक जलाकर नववर्ष का स्वागत करना चाहिए। नव वर्ष के नव प्रभात का स्वागत शंख ध्वनि व शहनाई वादन करके किया जाना चाहिए। घरों, मंदिरों पर ओम् अंकित पताकाएं लगानी चाहिए तथा प्रमुख चौराहों, घरों को सजाना चाहिए। यज्ञ-हवन, संकीर्तन, सहभोज आदि आयोजन करके उत्साह प्रकट करना चाहिए। अपने मित्रों व संबंधियों को नव-वर्ष बधाई संदेश भेजने चाहिए। भारतीय कालगणना एवं इसके महत्व को उजागर करने वाले लेखों का प्रकाशन तथा गोष्ठियों का आयोजन करना चाहिए। विद्यार्थीयों ने नव संवत्सर के महत्व को समझते हुए इस बार से ही नव संवत्सर बनाने का संकल्प लिया।
कल होने वाली गोष्ठियां प्रातः 10ः30 महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय में जयपुर से आये प्रो. जे.पी. शर्मा तथा सायं 05 बजे स्वामी कॉम्पलेक्स पर शिक्षाविद श्री पुरूषोत्तम परांजपे नव संवत्सर के बारे में जानकारी देगें।
कंवल प्रकाश किशनानी
सहमंत्री व प्रचार
मों. 9829070059
error: Content is protected !!