भारत में स्‍वाइन फ्लू का वायरस और ज्‍यादा खतरनाक हुआ

swine flu logoमैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से जुड़े भारतीय मूल के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च के आधार पर यह दावा किया. यह रिसर्च साइंस मैगजीन ‘सेल होस्ट एवं माइक्रोब’ में छपा है, जिसमें भारतीय स्वास्थ्य विभाग की उस रिपोर्ट का खंडन किया गया है, जिसके मुताबिक 2009 में अस्तित्व में आए एच1एन1 वायरस का स्वरूप नहीं बदला है. वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि एच1एन1 वायरस में बीते सालों में बदलाव हुए हैं और अब यह पहले के मुकाबले काफी तेजी से फैल रहा है और इसलिए इस वायरस के बारे पर और ज्यादा स्‍टडी करने की आवश्यकता है.

MIT के राम शशिशेखरन ने कहा, ‘हम बड़ी मुश्किल और संकट की स्थिति में हैं, जहां हमें खतरे के बारे में बहुत सीमित जानकारी है और कई भ्रांतियां हैं.’ उन्होंने कहा, ‘अगर आप समय के साथ इस पर नजर रखते हैं, संगठित होते हैं और जानकारियां जुटाते हैं, तभी आप वायरस से लड़ने के लिए एक बेहतर रणनीति के साथ तैयार हो सकते हैं.’ शशिशेखरन और MIT के रिसर्चर कानन तारकरमन ने 2009 में अस्तित्व में आए एच1एन1 वायरस के आनुवांशिक कारकों की स्‍टडी और तुलना की, जिसके 2009 से 2012 के बीच करीब 18,000 लोग शिकार हुए थे.

रिसर्चरों ने पाया कि भारत में मौजूदा समय में फैल रहा एच1एन1 वायरस पहले से कहीं ज्यादा विकसित हो गया है, इसके हेमाग्लुटिनिन प्रोटीन में बदलाव देखा गया है, जिसने वायरस को पहले से ज्यादा घातक बना दिया है. शशिशेखरन ने कहा, ‘अभी नए एच1एन1 वायरस के बारे में और अधिक रिसर्च करने और जानकारी जुटाने की जरूरत है.’ नए वायरस के बारे में और ज्‍यादा रिसर्च तथा जानकारी से स्वास्थ्य अधिकारियों को इस बात का पता लगाने में मदद मिलेगी कि कौन सी दवा इस समय ज्यादा कारगर होगी. इससे भ्‍ाविष्‍य के लिए ज्‍यादा कारगर दवा पहले से तैयार करने में भी मदद मिलेगी.

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