दुग्ध उत्पादकों के हितों का संर्वद्धन किया जाएगा- प्रो.जाट

प्रो. जाट ने किया ‘राजस्थान में दुग्ध उत्पादन बढाने की योजनाएं व नीतियां’ विषयक राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारम्भ
 सांवरलाल जाट
सांवरलाल जाट

अजमेर। केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्यमंत्राी प्रो. सांवरलाल जाट ने कहा कि किसान, पशुपालक व दुग्ध उत्पादक देश के आर्थिक व ग्रामीण विकास की अहम कडी है। केन्द्र व प्रदेश सरकार किसानों व दुग्ध उत्पादकों के हितों के संर्वद्धन हेतु संकल्पबद्ध है।

प्रो. जाट आज जवाहर रंगमंच पर इंडियन डेयरी एसोसिएशन(नार्थ जोन) व अजमेर जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड द्वारा ‘राजस्थान में दुग्ध उत्पादन बढाने की योजनाएं व नीतियां’ विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन सत्रा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसान ही पशुपालक अथवा दुग्ध उत्पादक भी है, दोनों को अलग नही किया जा सकता है। आज किसान कृषि के साथ पशुपालन व डेयरी उद्योग से भी जुडा हुआ है। केन्द्र व प्रदेश सरकार किसानों व पशुपालकों के हितों के संर्वद्धन हेतु संकल्पित होकर कार्यरत है।
उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्राी श्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही किसानों व पशुपालकों पर आई प्राकृतिक विपदा के बाद महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए किसानों को फसलों के 33 प्रतिशत खराबें पर भी सहायता की घोषणा की है, साथ ही सहायता राशि में भी ईजाफा किया है। इसी प्रकार पशुपालकों को हुई पशुधन हानि का भी उचित मुआवजा दिलवाया गया है। इस प्रकार किसानों व पशुपालकों की समस्याओं के निदान हेतु सरकार सहभागी बनकर कार्य कर रही है।
प्रो.जाट ने कहा कि राजस्थान में अजमेर सरस डेयरी का प्रबंधन सर्वोत्तम है। सरस डेयरी के उत्पादों की गुणवत्ता का जनमानस में गहरा प्रभाव है, इसी के चलते बाजार में डेयरी के उत्पादों की मांग भी अधिक है। दुग्ध उत्पादक को डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता को बनाए रखने हेतु पशुओं की संख्या के स्थान पर उन्नत नस्ल के पशुओं के माध्यम से अधिक व गुणवत्तापूर्ण दुग्ध उत्पादन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि पशुपालन व डेयरी उद्योग के माध्यम से देश का किसान आर्थिक व सामाजिक तौर पर सक्षम हुआ है, किसानों व पशुपालकों के सर्वांगीण विकास में डेयरी उद्योग महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। इस अवसर पर उन्होंने अजमेर डेयरी को दुग्ध उत्पादकों हेतु राष्ट्रीय स्तर का सेमिनार आयोजित करने पर बधाई देते हुए सेमिनार से प्राप्त सुझावों का किसानों व दुग्ध उत्पादकों के हितों संरक्षण हेतु उपयोग करने की बात कही।
डेयरी अध्यक्ष श्री रामचन्द्र चैधरी ने कहा कि अजमेर जिला दुग्ध संघ देश का सबसे पहला कैन लेस दुग्ध संघ है। जिले की दुग्ध समितियों पर 175 बल्क मिल्क कूलर स्थापित है, जिनके द्वारा आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से दूध एकत्रा कर इन्स्युलेटेड टंेकर के माध्यम से डेयरी में लाया जाता है। डेयरी में दुग्ध की गुणवत्ता को उच्च तकनीक व आधुनिक मशीनों से जांच व परख के बाद उपभोक्ताओं को भिजवाया जाता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास का आधार पशुधन का विकास है, अतः सरकार को पशुधन के विकास हेतु पशुपालकों को पशु क्रय करने पर ऋण दिया जाना चाहिए।  साथ ही उन्होंने अनुपयोगी सांडों का बधियाकरण करवाने हेतु सरकार द्वारा विशेष कार्यक्रम चलाने एवं महानरेगा कार्यो के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में दूध समितियों के भवनों के निर्माण का अनुरोध किया।
संभागीय आयुक्त डाॅ. धर्मेन्द्र भटनागर ने कहा कि किसान व पशुपालकों को वैज्ञानिक विधियों व दृष्टिकोण का इस्तेमाल करना चाहिए। फसलों व दुग्ध उत्पादन के बाद उसकी प्रोसेसिंग व मार्केटिंग काफी महत्वपूण है, किसानों व पशुपालकों को बाजार तक लाकर बिचौलियों को समाप्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अजमेर को स्मार्ट सिटी का दर्जा दिया गया है इसमें किसान व पशुपालक भी सहभागी बनकर अग्रणी व स्मार्ट बनकर उत्पादन में वृद्धि कर सकते है। दुग्ध उत्पादन की वृद्धि व पशुओं की उन्नत नस्लों के संबंध में पशुपालक राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार से लाभान्वित होंगे, इस प्रकार के आयोजन डेयरी उद्योग, पशुपालक व किसानों के लिए महत्वपूर्ण है।
डाॅ. जी.आर. पाटिल की अध्यक्षता में आयोजित तकनीकी सत्रा के तहत सर्वप्रथम राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो करनाल के वैज्ञानिक डाॅ.. पी.के. सिंह ने ‘राजस्थान की गाय-भैंस सम्पदा का विकास आनुवंशिक संर्वद्धन’ विषय पर स्लाईड प्रजेन्टेशन दिया। उन्होंने ब्रीडिंग पद्धति, पशु नस्ल सुधार संबंधी जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान में कुल 9 नस्ल की गायें है, जिनमें गीर, कांकरेज, राठी, मालवी, सांचैरी, थारपारकर, नागौरी, हरियाणवी एवं नारी नस्ल शामिल है। विदेशी में जर्सी, होलस्टीन, फ्रीसवाल, जरसिंघ, करनस्विस आदि शामिल है। इनमें में नस्ल सुधार के साथ दुग्ध उत्पादन में वृद्धि की विस्तृत जानकारी दी। साथ ही उन्होंने राजस्थान में सूरती व मुर्राह नस्ल की भैंसों के संबंध में भी जानकारी दी। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान केन्द्र करनाल के डाॅ. टी. के.मोहन्ती ने पशुओं में नस्ल सुधार हेतु कृत्रिम गर्भाधान तकनीक के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि श्रेष्ठ नस्ल के सांडों के वीर्य का उपयोग कर संकर नस्ल के पशुओं का विकास संभव है, लेकिन सांडों के चयन उनकी मां के दुग्ध उत्पादन की क्षमता के आधार पर किया जाना चाहिए।  राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान केन्द्र करनाल के निदेशक डाॅ. अनिल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि पशुओं में बीमारियों व रोकथाम के उपायों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पशुओं में मुख्यतः मुहपका, खुरपका, बु्रसोलिसिस, आईबीआर, बोवाइन थिलेरियसिस, गलघोंटू जैसी बीमारियां सामने आती है, उक्त बीमारियों से बचाव हेतु नियमित टीकाकरण किया जाना आवश्यक है। साथ ही पशुओं के पेट से कीडे के निस्तारण हेतु डिवार्मिंग भी किया जाना चाहिए।
तकनीक सत्रा के दूसरे दौर में डाॅ. अमरीश कुमार त्यागी ने पशुपोषण हेतु संतुलित आहार के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने पशुपालकों को पशुआहार में हरे चारे, दाना व सोयाबीन की खल के अलावा खनिज मिश्रण, प्रोटीन का समावेश करने की सलाह दी जिससे दुग्ध उत्पादन में वृद्धि की जा सके। डाॅ. राकेश कुमार ने डेयरी से संबंधित पशुओं के लिए पशुआहार, डाॅ. एम.एल कम्बोज ने पशुओं के उचित प्रबंधन, डाॅ. गोपाल सांखला ने शुद्ध दुग्ध उत्पादन,  डाॅ. ए.के. सिंह ने लघु उद्यमी व दुग्ध उत्पादन एवं डाॅ. राजन शर्मा ने दुग्ध गुणवत्ता को बनाए रखने के संबंध में स्लाईड प्रजेन्टेशन के माध्यम से जानकारी दी।
इसके बाद आयोजित खुले सत्रा के दौरान पशुपालकों व दुग्ध उत्पादकों की विभिन्न समस्याओं के बारे में चर्चा की गई। इससे पूर्व संगोष्ठी का उद्घाटन अतिथियों ने सरस्वती प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर किया।
इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक श्री महेन्द्र चैधरी, उपाध्यक्ष राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान केन्द्र डाॅ जी. एस. राजौरिया, अध्यक्ष आरसीडीएफ श्री जोगसिंह, प्रबंध निदेशक अजमेर डेयरी श्री गुलाब भाटिया, बडौदा राजस्थान ग्रामीण बैंक के श्री के.पी. सिंह, दुग्ध उत्पादक, दुग्ध उत्पादक समितियों के सदस्य, अधिकारी व गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
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