साहित्यकार श्री मनोहर वर्मा का 83 वर्ष की आयु में निधन हो गया। किशोरावस्था से लेखन प्रारम्भ करने वाले मनोहरजी आयु के अंतिम चरण तक निरंतर लिखते रहे। वे उन लेखकों में थे जिन्होंने बाल साहित्य विधा को हिन्दी साहित्य जगत में स्थापित किया और इसकी पृथक पहचान बनायीं।
बालहंस के संपादक के रूप में इस पत्रिका को उन्होंने दूर दूर तक पहुँचाया।200 से अधिक पुस्तको के रचयिता इस बेहद सरल व सहज व्यक्तित्व ने बच्चों में नैतिक मूल्य व देशप्रेम अनुशासन त्याग आदि भाव विकसित करने के लिए अद्भुत साहित्य रचा।
उनके संपादन में दैनिक भास्कर अजमेर का साहित्य पृष्ठ एक समय बहुत ख़ास हुआ करता था। मनोहरजी के अवसान से अजमेर के साहित्य क्षितिज को क्षति हुई है।
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