आदर्ष सनातन धर्म सभा एवं विकास समिति द्वारा 1942 में षिव मन्दिर की स्थापना की गई। सभी भक्तजनों के सहयोग, श्रद्धा व विष्वास से मन्दिर में सभी देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई । पूरे वर्ष धार्मिक कार्य बड़ी श्रद्धा से सम्पन्न किये जाते हैं ।
जहाँ भक्त अपनी मान्यता (श्रद्धा) अनुसार जब चाहे, जिस देवता की चाहे आराधना कर सकता है । भक्तों के भरपूर सहयोग से ही यह मन्दिर अजमेर नगर के उत्कृष्ट मन्दिरों की श्रेणी में अपना स्थान बना पाया है ।
इसी क्रम में भक्तजनों की प्रबल इच्छा रही है कि लोककल्याणार्थ मन्दिर परिसर में एक ऐसे आयोजन को मूर्तरूप दिया जावे जो अपने आप में अनुठा व अपूर्व हो । वर्तमान कलियुग में सर्वषक्ति स्वरूपा माँ दुर्गा की आराधना ही वह कल्पतरू है जिसके द्वारा भक्तजन परम दुलर्भ मनोवांछित फल प्राप्त कर ईष्वर का सानिध्य प्राप्त कर सकते है । अतः मन्दिर की कार्यकारिणी सभा ने इसी वर्ष 29 मई 2015 से 2 जून 2015 तक ‘‘दुर्गा सप्तषती सहस्त्र चण्डी यज्ञ’’ करवाने का निष्चय किया है ।
श्री दुर्गा सप्तषती के तेरह अध्यायों में सात सौ श्लोकों द्वारा माँ दुर्गा के प्रादुर्भाव, अनेक रूपों तथा चरित्र का महिमामय वर्णन है । इसके साथ ही देवी सूक्तम, रहस्यम व सभी माहात्म्य का सुरूचिपूर्ण समावेष हुआ है ।
इस सहस्त्रचण्डी यज्ञ में उपर्युक्त दुर्गा सप्तषती के एक हजार पाठ किये जायेगें व यज्ञ समापन पर 61 हवन वेदियों पर लगभग 200 यजमानों द्वारा आहुति दी जावेगी । उक्त आयोजन बहुत बड़ा है, कार्य कठिन है । पर माता रानी की असीम अनुकम्पा व आप सभी
भक्तजनों के सहयोग से हम व आप सभी सम्मिलित होकर इस अनुठे अनुष्ठान में सफल होगें, ऐसा दृढ़ विष्वास है ।
आइए, भक्तजन बिना एक क्षण भी व्यर्थ गवाए, इस कल्याणकारी यज्ञ में अपने परिजनों व इष्ट मित्रों सहित सम्मिलित होकर तन-मन-धन से सहयोग कर धर्म एवं पुण्य लाभ प्राप्त कर इह लोक और परलोक को सार्थक बनाइए ।
इस कार्यक्रम में भक्तजन कई प्रकार से सहयोग कर सकते हैं, जैसेः- पण्डितों को देने वाली दक्षिणा में योगदान कर, पण्डितों के भोजन की व्यवस्था कर, हवन में प्रयुक्त होने वाली सामग्री प्रदान कर, प्रचार एवं प्रसार का खर्च वहन कर, यज्ञ में यजमान बनकर व बनाकर सहयोग प्रदान कर सकते है । इस अनुष्ठान को सम्पन्न करने हेतु श्री बैणेष्वर धाम त्रिवेणी संगम डूंगरपुर (त्रिपुरा सुन्दरी शक्ति पीठ) से लगभग अस्सी नित्यपाठी पण्डितों को आमंत्रित किया है । उक्त आयोजन पाँच दिन चलेगा व इकसठ हवन वेदियों पर यजमानों द्वारा आहुतियां देने की व्यवस्था की जायेगी । इस कार्यक्रम के समापन पर ‘‘श्री निम्बार्काचार्य अनन्त श्री विभुषण श्री जी महाराज’’ ने पधारने की स्वीकृति प्रदान कर दी है ।
यजमान तीन प्रकार के सेवालाभ ले सकेगें –
1. मुख्य ग्यारह कुण्ड पर -यजमान- प्रथम दिन से पंचम दिन तक ब्रह्मचर्य व क्षौरादिक कर्म, सात्विक कर्म का पालन करते हुये नियमानुसार पुजार्चन व यज्ञ कर्म करेगें ।
2. विषिष्ठ यजमान- प्रथम दिन, चतुर्थ दिन व पंचम दिन नियमानुसार पालन करते हुए पूजार्चन, आरती, पुष्पान्जली 61 कुण्डों पर विषिष्ठ रूप सेयज्ञ में पूण्य लाभ अर्जित करेगें ।
3. सम्मानित यजमान- पंचम दिन नियमानुसार पालन करते हुए पूजार्चन, यज्ञ, पूर्णाहुति व आरतीख् विसर्जन तक पूण्यलाभ अर्जित करेगें ।
विद्वतजनों का मानना है कि जग जननी माता रानी की आराधना ही ऐसा साधन है जिससे कलिकाल में लोक कल्याण सम्भव है । उक्त संदर्भ में आप निम्न फोन नम्बरों पर सम्पर्क कर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा मंदिर कार्यालय में शाम 6ः30 से 08ः00 बजे तक भी व्यक्तिगत सम्पर्क कर सकेगें ।
ठा. प्रहलाद सिंह पीह, अध्यक्ष वी.के.अग्रवाल हरीष बंसल, सचिव बी.पी.मित्तल, कोषाध्यक्ष
मो. 9414212723 मो. 9929029280 मो. 8239902371 मो. 9828083522