अजमेर / 01 जुलाई 2015 बुधवार / पुरूषोत्तम माह के पावन अवसर पर हाथी भाटा स्थित लक्ष्मी नारायण मन्दिर में वृदांवन के संत भागवत भ्रमर आचार्य मयंक मनीष की समधुर वाणी में चल रही संगीतमय भागवत कथा के छठे दिन कथा में श्री कृष्ण का जाम्बती वह सत्यभामा से विवाह, शिशुपाल वध, वासुदेव जी का यज्ञ महोत्सव श्रृतियों द्वारा भगवान की स्तृति, नारायण अवतार का वर्णन, उद्धव जी को ज्ञान उपदेश, महारास लीला एवं होली उत्सव का आयोजन हुआ। होली उत्सव पर आचार्य जी ने कहा कि भगवान की समस्त लीलायें समाज के लिये उपयेागी है उन्हें समसर जीवन में व्यवहार में उतारने की आवश्यकता है। होली उत्सव पतझड़ के अंत संस्कृति एवं भाईचारे का प्रतीक है। उत्सवों के आयोजन से जीवन में आनंद आता है। सकारात्मक सोच एवं उर्जा का संचार होता है। महारास के प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि श्री कृष्ण ने अपने योगबल से दो-दो गोपियों के मध्य प्रविष्ट हो महारास किया । इस रसोत्सव को देखने के लिये देवता भी अपनी अपनी स्त्रियों सहित आकाश में खड़े हो गये, दुदुभिं बजने लगी। पुष्पांे की वर्षा होने लगी सभी गन्धर्वगण प्रभु चरित्र गाने लगे। कथा में आचार्य ने कहा कि एक रूप चन्द्रमा कलाओं के कारण घटता बढ़ता रहता है। वैसे ही देह भी विकारों के कारण क्षय-वृद्धि को प्राप्त होता है। जैसे सूर्य जल को खींचकर वर्षाकार में छोड़ देता है वैसे ही अपेक्षित पदार्थ लेकर मांगने वालों को दे दें।
आज कथा में मुख्य यजमान वासुदेव मित्तल ने भागवत जी का पूजन एवं आरती की कल कथा के विश्राम पर सुदामा चरित्र का कठिन हेागी।
उमेश गर्ग