मनोमय कोश का परिशीलन योग का आधार

विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी शाखा अजमेर द्वारा शहीद भगत सिंह उद्यान, वैशाली नगर अजमेर में प्रातः 6.00 से 7.30 बजे तक योग एवं ध्यान सत्र का आयोजन

IMG_1325मनुष्य का जीवन पंचकोशीय विकास के बिना अधूरा है। साधारण मनुष्य अन्नमय कोश के स्तर पर ही विचरण एवं चिंतन करता है तथा अनेक शारीरिक तथा मानसिक व्याधियों से त्रस्त रहता है किंतु अन्नमयकोश से भी सूक्ष्म एवं विस्तृत प्राणमय कोश तथा मनोमय कोश हैं जो दिखाई नहीं देते हैं। मनोमय कोश ही सभी संकल्पों एवं विकल्पों का उद्गमस्थल है तथा यहीं से विचारों का उद्गम होता है। षड्रिपु यथा काम,क्रोध, लोभ, मोह, मद एवं मात्सर्य से ग्रसित विचारों का परिणाम प्राणमय कोश में स्थित नाड़ियों की अस्थिरता एवं असंतुलन उत्पन्न करता है जो अन्नमय कोश के स्तर पर व्याधियांे के रूप में प्रकट होते हैं। यदि हमें अपने विज्ञानमय कोश का जागरण करते हुए सुख एवं आनन्द प्राप्त करना है तो स्वामी विवेकानन्द के द्वारा बताए राजयोग के मार्ग का अनुसरण करना होगा जिसका आधार महर्षि पतंजलि द्वारा प्रदत्त अष्टांग योग दर्शन है। उक्त विचार योग शिक्षक डॉ. स्वतन्त्र शर्मा द्वारा विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी की स्थानीय शाखा के तत्वावधान में आयोजित किए जा रहे योग एवं ध्यान सत्र के पंचम दिवस के अभ्यास सत्र में व्यक्त किए। यह योग सत्र 24 अप्रैल तक वैशाली नगर स्थित शहीद भगत सिंह उद्यान में आयोजित किया जा रहा है।
उक्त जानकारी देते हुए नगर प्रमुख महेश शर्मा ने बताया कि आज के अभ्यासों में पादहस्तासन एवं अर्द्धचक्रासन का अभ्यास सिखाया गया साथ ही कपालभाति क्रिया के एकान्तर तथा सामान्य रूपों का वर्णन करते हुए उससे प्राप्त लाभों का विवेचन करते हुए अभ्यास कराया गया।

(क्षितिज तोषनीवाल)
सह नगर प्रमुख
9414730380

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