मकरेड़ा तालाब के डाउन स्ट्रीम क्षेत्रा में 12 करोड़ लीटर जल का होगा संग्रहण
जिला कलेक्टर श्री गौरव गोयल के अनुसार मुख्यमंत्रा जल स्वावलम्बन अभियान के तहत अजमेर जिले की जवाजा पंचायत समिति की ग्राम पंचायत ब्यावरखास में जनसहयोग से मकरेड़ा तालाब के डाउन स्ट्रीम क्षेत्रा में 4 संकन पौण्ड के निर्माण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है, इससे तालाब के डाउन स्ट्रीम क्षेत्रा में 7 करोड़ लीटर जल संग्रहण किया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि यहां 7 संकन पौण्ड का निर्माण जनसहयोग से किया जा रहा है जिससे 12 करोड़ लीटर जल का संग्रहण कर क्षेत्रा हरा-भरा व जलस्वावलम्बी हो जाएगा।
1 लाख 10 हजार टन मिट्टी की खुदाई
सहायक अभियंता जलग्रहण श्री शलभ टण्डन ने बताया कि मकरेड़ा तालाब के डाउन स्ट्रीम क्षेत्रा ब्यावरखास में सामाजिक सरोकार व जनसहयोग के तहत एल एण्ड टी कंपनी द्वारा मानवीय श्रम व अत्याधुनिक मशीनों के माध्यम से 75 लाख रूपये की लागत का सहयोग किया जा रहा है। ब्यावरखास में 4 संकन पौण्ड के निर्माण के लिए एल एण्ड टी कंपनी द्वारा 1 लाख 10 हजार टन मिट्टी की खुदाई व ढुलाई का कार्य मानव श्रम व अत्याधुनिक मशीनों के सहयोग से किया गया है, इसी क्रम में अन्य तीन संकन पौण्ड के निर्माण का कार्य भी जारी है। इस कार्य में जलग्रहण एवं भू-संरक्षण विभाग द्वारा तकनीकी मार्गदर्शन दिया जा रहा है।
जलराशि का होगा समुचित उपयोग
ब्यावरखास ग्राम पंचायत मकरेड़ा तालाब डाउन स्ट्रीम क्षेत्रा में मौजूद है। मकरेड़ा बांध के ओवरफ्लो होने पर जलराशि बहकर पाली जिले के बाबरा बांध में चली जाती है जिससे क्षेत्रा में जल का उपयोग नहीं हो पाता है। इस बहकर जाने वाले जल को रोकने के लिए डाउन स्ट्रीम मकरेड़ा नदी नाला क्षेत्रा में 7 संकन पौण्ड का निर्माण क्रमवार किया जा रहा है जिससे इन पौण्ड में 12 करोड़ लीटर जलराशि का संग्रहण किया जा सकेगा।
क्षेत्रा को होगें फायदे
सहायक अभियंता जलग्रहण श्री शलभ टण्डन ने बताया कि ब्यावरखास में 7 संकन पौण्ड का निर्माण होने से क्षेत्रा हरा-भरा व जलस्वावलम्बी बनेगा साथ ही फसल च्रक में भी परिवर्तन आएगा। संकन पौण्ड में जलसंग्रहण से क्षेत्रा के भू-जल स्तर में वृद्धि होगी, कुओ, बावड़ियों का जल स्तर बढे़गा। साथ ही वर्षा ना होने की स्थिति में पशुओं के पीने के लिए 2 साल तक की पर्याप्त जलराशि भी संग्रहित रहेगी एवं क्षेत्रा कृषक रबी व खरीफ की फसल के अलावा जायद की फसल भी ले सकेंगे।
क्या है ? फोर वॉटर कॉन्सेप्ट
मुख्यमंत्रा जल स्वावलम्बन अभियान के अन्तर्गत आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्य अभियंता टी.हनुमन्ता राव की चार जल संकल्पना (फोर वाटर कोन्सेप्ट) के आधार पर जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण के कार्य किये जा रहे हैं। चार जल संकल्पना के तहत वर्षा जल, सतही जल, मृदा नमी एवं भू जल को शामिल किया गया है।
इस तकनीक में रिज लाईन से प्रारम्भ होकर नीचे की तरफ कार्य किया जाता है जिसमें चारों प्रकार के जल क्रमशः वर्षा जल, मृदा जल, भूजल एवं सतही जल के अधिकतम उपयोग हेतु कार्य किये जाते हैं। प्रथम स्तर की धाराओं में मिनी परकोलेशन टैंक (एमपीटी) तथा उसके नीचे प्रथम व द्वितीय स्तर की धाराओं में संकन गली पीट्स (एसजीपीटी) व सिल्प ट्रैप (एसटीपी) बनाये जाते हैं। पहाड़ों के अधिक ढलान की समाप्ति पर गहरी खाइयां (डीपसीसीटी) बनायी जाती है ताकि तेज गति से आ रहे पानी की गति को कम किया जा सकें। साथ ही कम ढलान के क्षेत्रों में कम गहराई की खाईयां (छोटी सीसीटी) बनायी जाती है ताकि इनमें भरा पानी जमीन में नमी बनाये रखें।–0